ड्रग माफिया पूर्वांचल में मल्टीनेशनल कंपनियों का नाम इस्तेमाल कर नकली एंटीबायोटिक खपा रहे हैं। स्थिति ये है कि इस साल बनारस में दवाओं के दस सैंपल फेल हुए हैं। यानी वह नकली मिले हैं। इसमें सात सैंपल एंटीबायोटिक है। मामले में ड्रग इंस्पेक्टर ने दस मेडिकल स्टोर संचालकों पर ड्रग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराकर लाखों रुपए की नकली दवाएं जब्त किया है।बनारस में करीब पांच हजार से अधिक छोटे-बड़े मेडिकल स्टोर हैं। जहां पर हर रोज करीब 30 लाख से अधिक का कारोबार होता है। बनारस से ही पूरे पूर्वांचल में दवाओं की सप्लाई होती है। ड्रग विभाग की ओर से पिछले दिनों 80 दवाओं का सैंपल लिया था। इसमें दस सैंपल फैल हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा 7 सैंपल एंटीबायोटिक के फेल हुए हैं। वहीं एक सैंपल पीलिया की दवा और दो सैंपल गाय और भैंस के दूध उतारने के लिए लगाए जा जाने वाले इंजेक्शन के हैं। औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की मानें तो नकली दवा बनाने वाले गिरोह का एंटीबायोटिक दवाओं पर ज्यादा जोर रहता है क्योंकि मल्टीनेशनल दवा कंपनी की एंटीबायोटिक दवा के 10 टेबलेट वाले पत्ते की कीमत 100 रुपये से लेकर 1 हजार रुपये तक है। माफिया को इसे बनाने में केवल फॉइल कवर और उसकी प्रिटिंग का खर्च आता है। इसके बाद इसे कंपनी के रेट पर इसे बेचते हैं। इससे उनका लाखों रुपए का मुनाफा होता है। नकली दवा बेचने वाले गिरोह के खिलाफ अभियान चलाकर ड्रग विभाग कार्रवाई कर रही है।
दूध उतारने के लिए बिक रही नकली इंजेक्शन
गाय-भैंस का दूध उतारने के लिए ऑक्सिटोसिन इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है। इस इंजेक्शन पर रोक लगी है। इसके बाद भी इस इंजेक्शन की बिक्री हो रही है। ड्रग विभाग ने दर्जनों सैंपल जब्त किया है। इसमें दो सैंपल तो नकली मिला है। इनके खिलाफ ड्रग विभाग ने मुकदमा दर्ज किया है।
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