अम्बेडकर नगर जिले के तहसील आलापुर विकासखण्ड जहाँगीरगंज मखदुमपुर देवी प्रसाद त्रिपाठी शास्त्री ने बताया कि वर्ष में चार बार पौष, चैत्र, आषाढ और अश्विन माह में नवरात्र आते हैं। चैत्र और आश्विन में आने वाले नवरात्र प्रमुख होते हैं ।जबकि अन्य दो महीने पौष और आषाढ़ में आने वाले नवरात्र गुप्त नवरात्र के रूप में मनाये जाते हैं। आश्विन माह से शरद ऋतु की शुरुआत होने लगती है इसलिए आश्विन माह के नवरात्र को शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। विद्वान देवि प्रसाद त्रिपाठी , रिषिकेश शास्त्री जी के द्वारा बताए गए नवरात्र के शुभ मुहूर्त के बारे कहा कि नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलेंगे नवरात्र के पहले दिन देवी मां के निमित्त कलश स्थापना की जाती है ।
भागवत पुराण में बताया गया है कि वार के अनुसार मां दुर्गा किस चीज की सवारी करके पृथ्वी लोक में आएंगी अगर नवरात्र की शुरुआत सोमवार या रविवार से होती है तो माता हाथी पर सवार होकर आएंगी ।शनिवार और मंगलवार को माता अश्व पर सवार होकर आती हैं वहीं अगर नवरात्र गुरुवार या शुक्रवार से प्रारंभ होते हैं तो माता डोली पर सवार होकर आएंगी। इस साल नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं जिसके कारण वह डोली पर सवार होकर आएंगी। शारदीय नवरात्र का शुभ मुहूर्त प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ: 06 अक्टूबर शाम 04 बजकर 35 मिनट से शुरू समाप्त: 07 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक घटस्थापना 07 अक्टूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक का है। 7 अक्टूबर- मां शैलपुत्री की पूजा 8 मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 9 मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा10 मां स्कंदमाता की पूजा 11 मां कात्यायनी की पूजा12 मां कालरात्रि की पूजा 13 मां महागौरी की पूजा 14 मां सिद्धिदात्री की पूजा 15 अक्टूबर- दशमी तिथि, विजयादशमी या दशहरा । शारदीय नवरात्र में भगवती की उपासना करने से मनोवांछित फल तथा परिवार में सुख शांति की प्राप्ति होती है । प्रतिवर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। इस साल 7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है और पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ शक्ति स्वरूपों की पूजा की जाएगी।पंचांगानुसार 6 अक्टूबर 2021 को है आश्विन मास की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं।श्राद्ध कर्म में इस तिथि का बड़ा महत्व माना गया हैं शास्त्रों में इसे मोक्षदायिनी अमावस्या कहा गया हैं ।शास्त्रों में इस तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध"तिथि भी माना गया है वैसे तो पूरे पितृ पक्ष में पितरों को याद किया जाता है ।और उन्हें उनके नाम पर तर्पण एवं पिंड दान दिया जाता है।यदि_ किसी कारण बस पूरे पितृ पक्ष में संभव न हो सके तो, ऐसे में अमावस्या के दिन ही पितरों को पिंडदान तर्पण करके उनके नाम से दान पुण्य तथा ब्राह्मण भोजन कराने से पितरों को शांति मिलती है।इनकी कृपा और आशीर्वाद से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है।धन वैभव का आगमन होता हैपद प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है यही नहीं आश्विन अमावस्या के दिन के दान का फल अमोघ होता है।
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