हर वर्ष की भांति इस बार भी जुलूस-ए अमारी निकाला गया। कोरोना संक्रमण के चलते शासन प्रशासन के गाइड लाइन के तहत छोटी-छोटी टुकड़ियों में लोग नोहा पढ़ते हुए कर्बला तक गए।
अंजुमन ए कमरे बनी हाशिम नोहा खानी शारिब रिजवी अली हसन जाफर शहजादे जाफरी अली अब्बास नेहाल रिजवी ने पढ़ा। जिस पर सभी शिया समुदाय के लोगों ने काले लिबास,नंगे पैर व नम आंखों से मातम किया। जुलूस कदीमी कई वर्षों से निकाला जाता रहा है पर इस बार दुर्गा पूजा के साथ ही एक ही दिन पड़ने के कारण 11:00 बजे की समय को प्रशासन ने 6:30 बजे का समय दिया था और अपने निर्धारित 8:00 बजे की समय पर ताजिया दफन हुई इस जुलूस को चुप ताजिया का जुलूस भी कहा जाता है। यह जुलूस वारिस फरमान वारिस रिजवान के यहां से उठता है जो जेरे निगरानी इमामिया ट्रस्ट उतरौला अध्यक्ष ऐमन रिजवी की अगुवाई में निकाला गया। जुलूस में समीर रिजवी निहाल रिजवी नुसरत हुसैन उर्फ जग्गू अम्मार रिजवी जावेद रिजवी हसनैन अली आब्दी अरशद रिजवी के साथ-साथ सभी अकीदत मंद शामिल रहे ।
सुरक्षा की दृष्टि से डीएम श्रुति, पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल,उप जिलाधिकारी नागेन्द्र नाथ यादव, क्षेत्राधिकारी उदय राज सिंह, प्रभारी निरीक्षक अनिल सिंह ,कस्बा चौकी इंचार्ज समेत तमाम पुलिस के जवान मुस्तैद रहे
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असग़र अली
उतरौला
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