शारदीय नवरात्रि सात अक्तूबर से शुरू होगा। आश्विन महीने के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक देवी के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। इस बार षष्ठी तिथि का क्षय होने से नवरात्रि 8 दिन की ही रहेगी। काशी के ज्योतिषशास्त्री व काशी विद्वत परिषद का कहना है कि देवी का आगमन इस बार झूले पर और गमन हाथी पर होगा। झूले पर माता का आगमन आपदा के संकेत दे रहा है। महाष्टमी 13 और महानवमी 14 अक्तूबर को है, जबकि 15 को दशहरा मनाया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र ने बताया कि प्रतिपदा तिथि में घट स्थापना के साथ ही देवी के नवरात्र पूजन और अनुष्ठान शुरू होंगे। इस बार मां दुर्गा बृहस्पतिवार को झूले पर सवार होकर आ रही हैं। झूले पर आगमन का फल मृत्यु तुल्य कष्ट कहा गया है। दुर्गा जी का प्रस्थान शुक्रवार 15 अक्तूबर दशमी तिथि को हाथी पर होगा।शास्त्रों के अनुसार कलश सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक होता है। प्रतिपदा पर रात 9.12 तक चित्रा नक्षत्र और रात 1.38 बजे तक वैधृति योग रहेगा। इन दोनों के शुरुआती दो चरणों के अलावा घट स्थापना की जा सकती है। चित्रा नक्षत्र के दो चरण सुबह 10.16 और वैधृति योग के दोपहर 3.17 पर समाप्त हो रहे हैं। इसके चलते घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.59 से 12.46 बजे तक श्रेष्ठ रहेगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र ने बताया कि प्रतिपदा तिथि में घट स्थापना के साथ ही देवी के नवरात्र पूजन और अनुष्ठान शुरू होंगे। इस बार मां दुर्गा बृहस्पतिवार को झूले पर सवार होकर आ रही हैं। झूले पर आगमन का फल मृत्यु तुल्य कष्ट कहा गया है। दुर्गा जी का प्रस्थान शुक्रवार 15 अक्तूबर दशमी तिथि को हाथी पर होगा।शास्त्रों के अनुसार कलश सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक होता है। प्रतिपदा पर रात 9.12 तक चित्रा नक्षत्र और रात 1.38 बजे तक वैधृति योग रहेगा। इन दोनों के शुरुआती दो चरणों के अलावा घट स्थापना की जा सकती है। चित्रा नक्षत्र के दो चरण सुबह 10.16 और वैधृति योग के दोपहर 3.17 पर समाप्त हो रहे हैं। इसके चलते घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.59 से 12.46 बजे तक श्रेष्ठ रहेगा।
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