कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच में आयोजित हुई जागरूकता गोष्ठी
बहराइच! कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम के सभागार में पर आज दिनांक 28 अक्टूबर 2021 इन सीटू परियोजना के तहत जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन कार्यक्रम का आयोजन माननीय जिलाधिकारी महोदय की अध्यक्षता मे संपन्न हुआ ।कार्यक्रम में उप कृषि निदेशक;अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम; डी०ओ०बहराइच;जिला कृषि अधिकारी; जिला उद्यान अधिकारी; अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा आदि उपस्थित रहे ।जिलाधिकारी महोदय द्वारा लहसुन की दो प्रजातियां जी 323 जी 282 व कृषि विभाग द्वारा सरसों की मिनी किट एवं अन्य का वितरण किया गया। जिलाधिकारी महोदय ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन आज की प्रमुख जरूरत है। फसलों की कटाई के बाद बचे हुए डंठल तथा गुड़ाई के बाद बचे हुए पुआल भूसा तना तथा जमीन पर पड़ी हुई पत्तियों आज को फसल अवशेष कहा जाता है। विगत एक दशक में खेती में मशीनों का प्रयोग बड़ा है साथ ही खेतिहर मजदूरों की कमी की वजह से भी यह एक आवश्यकता बन गई है। ऐसे में कटाई व बुनाई के लिए कंबाइन हार्वेस्टर का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ा है। जिसकी वजह से भारी मात्रा में फसल अवशेष खेत में पड़ा रह जाता है। फसल अवशेष का समुचित प्रबंध करना एक बहुत बड़ी चुनौती है ।किसान अपनी सहूलियत के लिए इससे जलाकर प्रबंधन करते हैं ।इसके पीछे किसानों किसानों के अपने तर्क हैं इसी क्रम में उप कृषि निदेशक बहराइच ने ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से मृदा में होने वाली हानियों से भूमि के कार्बनिक पदार्थ नुकसान होने से के साथ फसल अवशेष से मिलने वाले पोषक तत्वों से मृदा वंचित रह जाती है। उन्होंने बताया कि जमीन की ऊपरी सतह पर रहने वाले मित्र कीट एवं केंचुआ आज भी नष्ट हो जाते हैं। माननीय जिलाधिकारी महोदय द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन पर शपथ ग्रहण दिलाया गया । कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉक्टर बी पी शाही ने बताया की फसल अवशेष जलाने से जमीन की ऊपरी सतह पर रहने वाले मित्र कीट एवं केचुआ आज भी नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा ओजोन परत का नुकसान पहुंचना ग्रीन हाउस गैसों का अधिक मात्रा में उत्सर्जन से वैश्विक पतन को बढ़ावा मिलता है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया किसी प्रणाली का अंगीकरण व फसल विविधीकरण द्वारा अवशेष जलाने की समस्या से निजात मिल सकता है। अतः अवशेषों को पशु चारा तथा औद्योगिक प्रयोग के लिए इकट्ठा करना अवशेषों को मिट्टी में मिश्रित करना एवं फसल की कटाई के उपरांत रोटावेटर से जुताई कर एक पानी लगा देने से फसल अवशेष मिट्टी में मिल जाते हैं। जिससे अगली फसल की बिजाई या रोपाई आसानी से की जा सकती है। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि गन्ने की कटाई के बाद
रोटरी डिस्क ड्रिल से गेहूं की बिजाई को बड़े पैमाने पर प्रचलित कर गन्ना फसल में प्रभावी अवशेष प्रबंधन किया जा सकता है। इसी क्रम में कल के वैज्ञानिक डॉक्टर शैलेंद्र सिंह ने बताया अस्थमा और दमा जैसी सांस से सम्बन्धित बीमारियों के मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है ।साथ ही इन रोगों के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।सल्फर डाईऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण आँखों में जलन।चर्म रोग की शिकायत बढ़ जाती है।हाल के वर्षों में फसल अवशेष जलाने के वजह से कैंसर जैसी बिमारी के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है।कृषि के विकसित राज्यों में 10 प्रतिशत किसान ही अवशेषों का प्रबंधन कर रहे है ।
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