औरैया // परवाहा गाँव स्थित सरपंच समाज कृषि विज्ञान केन्द्र पौध संरक्षण विशेषज्ञ अंकुर झा ने जनपद के किसानों को धान की पराली एवं अन्य फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन हेतु जानकारी प्रदान की उन्होंने बताया कि किसान भाई अपनी फसल अवशेषों को वेस्ट डीकम्पोजर का प्रयोग कर शीघ्रता से सड़ा सकते है कृषि में रासायनिक उर्वरक, खरपतवार नाशी, कीटनाशी व रोगनाशको के अत्यधिक प्रयोग से भूमि की विषाक्तता बढ़ गई जिससे बहुत से लाभदायक जीवाणु मर गए तथा भूमि अनुपजाऊ होती जा रही है और अब वह समय दूर नहीं है अगर कृषि रसायनों पर नियंत्रण नहीं लगाया गया या इनका उपयोग कम नहीं किया गया तो सम्पूर्ण भूमि बंजर हो जाएगी या अपनी उत्पादन क्षमता खो देगी एक तथ्य यह भी है कि भूमि की उर्वरा शक्ति की कमी के कारण किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए महंगे रसायनों का प्रयोग कर रहे है जिसके कारण किसानों की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है वेस्ट डीकम्पोज़र देशी गाय के गोबर से निकला गया सूक्ष्म जीवों का संघ है जिसमे सभी प्रकार के कार्बनिक पदार्थो के अपघटक सूक्ष्म जीव सम्मिलित है जो खेतों में पड़े अवशेषों को तेजी से सड़ाने एवं खेतों की उपजाऊ शक्ति को भी तेजी से बढ़ाने का कार्य करता है जो किसानों के लिए एक वरदान से कम नहीं है
🌾वेस्ट डीकम्पोजर को कैसे तैयार करें 🌾
वेस्ट डीकम्पोजर घोल तैयार करने के लिए सबसे पहले हम 2 किलो गुड़ लेकर 200 लीटर क्षमता वाले प्लास्टिक के ड्रम में पानी के साथ अच्छी तरह मिलाते है तथा मिलाने के बाद ड्रम को पूरा पानी से भर देते है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि इसे छायादार स्थान पर ही रखते है अब वेस्ट डीकम्पोजर की 1 बोतल को गुड़ के पानी में अच्छी तरह मिलाते है प्लास्टिक ड्रम में वेस्ट डीकंपोजर को एक लकड़ी की सहयता से एक ही दिशा में अच्छी तरह से घुमाते है जिससे ये पानी में मिल जाएँ इस प्लास्टिक ड्रम को एक गत्ते या मोटे कागज से ढक देते है और इसे हर दिन एक या दो बार सुबह-शाम घुमाते रहते है जिससे यह अच्छी तरह से तैयार हो सके 5-8 दिनों के बाद यह वेस्ट डीकम्पोजर का घोल उपयोग के लिए तैयार हो जाता है उपर्युक्त गठित घोल से किसान बार-बार वेस्ट डीकंपोजर घोल तैयार कर सकते हैं इसके लिए 20 लीटर वेस्ट डीकंपोजर घोल में 2 किलोग्राम गुड़ मिलाते है और 200 लीटर पानी मिलाया जाता है इस प्रकार किसान जीवन भर के लिए इस वेस्ट डीकंपोजर से लगातार घोल को तैयार कर उपयोग में ले सकते है।
🌾 वेस्ट डीकम्पोज़र की प्रयोग विधि 🌾
फसल अवशेष की कम्पोस्टिंग के रूप में फसल की कटाई के बाद खेत में बचे डंठल व अन्य अवशेषों पर इस घोल का छिड़काव कर सकते है जिससे वे जल्दी सड़ जाते है खड़ी फसल में छिड़काव के रूप में वेस्ट डीकम्पोजर के तैयार घोल को फसलों पर छिडकाव के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। इस घोल को 10-12 दिनों के अन्तराल पर एक फसल में 4 छिड़काव कर सकते है जो कई प्रकार की बीमारियों से पौधों की सुरक्षा करता है वेस्ट डीकम्पोजर को सिंचाई जल के साथ मिलाकर भी प्रयोग कर सकते है बूंद-बूंद सिचाई पद्धति में 200 लीटर घोल प्रति एकड़ प्रयोग में लाया जाता है
🌾वेस्ट डीकंपोजर के फायदे 🌾
यह 30-40 दिनों में कृषि अपशिष्ट, पशु अपशिष्ट, रसोई अपशिष्ट, शहर के अपशिष्ट जैसे सभी जैव अपघटन योग्य सामग्री को अपघटित कर अच्छी खाद का निर्माण कर देता है परम्परागत विधियों से तुलना करें तो यह खाद बनाने की अब तक की सबसे तीव्र विधि है जो जैविक खेती बढ़ावा देने हेतु सबसे महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही है वेस्ट डीकंपोजर के उपयोग से सभी प्रकार के रसायनों, कवकनाशी और कीटनाशकों के 90 प्रतिशत उपयोग को कम करता है क्योंकि यह दोनों जड़ जनित बीमारियों और शाखाओं के रोगों को नियंत्रित करता है किसान भाई वेस्ट डीकम्पोजर प्राप्त करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं केन्द्र के संरक्षण विशेषज्ञ अंकुर क्षा नें बताया कि वेस्ट डीकम्पोजर को प्राप्त करने के लिए किसान भाई अपने साथ एक छोटी खाली बोतल अवश्य लेकर आए परवाह स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र पर वेस्ट डीकंपोजर किसानों के लिए पूरी तरह निशुल्क उपलब्ध हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट - जे एस यादव
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