एनटीपीसी की दो यूनिटों में उत्पादन पूरी तरह ठप
गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरों
अंबेडकरनगर। कोयला संकट ने देश के नवरत्नों में शामिल एनटीपीसी की फेज-1 की दो इकाइयों से बिजली का उत्पादन ठप पड़ गया है। वहीं रात तक फेज-1 की दो अन्य इकाइयों से भी उत्पादन ठप होने के आसार हैं। इन चारों यूनिट को मिलाकर 440 मेगावाट उत्पादन की क्षमता है। उधर 1320 मेगावाट की फेज-2 की दो नई इकाइयों से भी विद्युत उत्पादन न्यूनतम लोड पर किया जा रहा है। बिजली संकट को लेकर एनटीपीसी अधिकारियों व कर्मचारियों में अनिश्चितता का माहौल देखने को मिला है। उनके बीच यह आशंका बुधवार को देखने को मिली कि कोयला संकट दूर होने में कहीं मौजूदा वर्ष बीत न जाए।
कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन को लेकर हालात जिले में भी बदतर हो चले हैं। एनटीपीसी की टांडा में फिलहाल 1760 मेगावाट यूनिट बिजली का उत्पादन करने की अलग अलग इकाई संचालित हैं। इस बीच 1760 मेगावाट की जो इकाइयां बिजली उत्पादन का कार्य करती आ रही थीं, उन्हें कोयला संकट से तगड़ा झटका लगा है। बीते लगभग एक सप्ताह से जैसे तैसे ही इन इकाइयों का संचालन हो पा रहा था। इस बीच कोयले की कमी ने फेज-1 में स्थापित इकाइयों के लिए ज्यादा संकट खड़ा करना शुरू कर दिया। कारण यह कि इन पुरानी इकाइयों में कोयले की खपत ज्यादा होती है। इसके चलते मंगलवार दिन में ही दो इकाइयों से उत्पादन लगभग रोक दिया गया था। उम्मीद थी कि इनका संचालन फिर से हो सकेगा, लेकिन कोयला संकट के चलते ऐसा नहीं हो पाया।इस बीच मंगलवार देर रात फेज-1 की 110-110 मेगावाट की दो यूनिट से बिजली का उत्पादन पूरी तरह ठप कर दिया गया। इससे इन दोनों यूनिट से बिजली का उत्पादन अचानक रुक गया।
बुधवार को फेज वन की 110-110 मेगावाट की दो अन्य इकाइयों पर भी उत्पादन ठप हो जाने का खतरा मंडराने लगा। आशंका है कि देर शाम इन दोनों इकाइयों से भी बिजली उत्पादन ठप पड़ जाएगा। एनटीपीसी अधिकारियों का फोकस फेज-2 से उत्पादन जारी रखने पर है। फेज-2 में 660-660 मेगावाट की दो नई इकाइयों से विद्युत उत्पादन जैसे तैसे ही हो पा रहा है। सूत्रों के अनुसार इन दोनों इकाइयों में से भी एक इकाई से विद्युत उत्पादन ठप करने की नौबत अगले एक-दो दिन में आ सकती है। कारण यह कि कोयले के अभाव में इन दोनों इकाइयों से भी न्यूनतम लोड पर बिजली उत्पादन किया जा रहा है। इन सबके बीच एनटीपीसी के अधिकारी इस मुद्दे पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि सब कुछ ऊपर के स्तर पर हो रहा है।
फेज-2 से भी उत्पादन हो रहा प्रभावित
एनटीपीसी की फेज-2 में 660-660 मेगावाट क्षमता की दो विद्युत इकाइयां संचालित हैं। इससे बिजली का उत्पादन कोयला संकट होने के पहले तक बेहतर ढंग से चल रहा था। इस नई इकाई से उत्पादित बिजली सस्ते दर पर बिक्री हो रही थी। ज्यादा डिमांड होने के चलते एनटीपीसी को फायदा भी हो रहा था। हालांकि अब कोयला संकट के चलते उत्पादन प्रभावित हुआ है। पॉवर कॉर्पोरेशन से ज्यादा डिमांड न आने की जानकारी भी हुई है। इसके चलते बीते कुछ दिनों से साढ़े 750 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा था। कोयला संकट के चलते इस नई इकाई से उत्पादन ठप न होने पाए इस पर एनटीपीसी अधिकारियों ने पूरा फोकस कर रखा है। इसी के चलते फेज वन की पुरानी व खर्चीली इकाई से बिजली उत्पादन फिलहाल रोका जा रहा है।
अधिकारियों व कर्मचारियों में असमंजस
कोयला संकट को लेकर सिर्फ जनसामान्य में ही तमाम तरह की आशंकाएं व्याप्त नहीं हैं। एनटीपीसी के अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच भी अनिश्चितता का माहौल है। उनके बीच बुधवार को यह चर्चा देखने को मिली कि कोयले का यह संकट न जाने कब तक दूर होगा। एनटीपीसी अधिकारियों व कर्मचारियों से हुई चर्चा में यह आशंका भी उनमें देखने को मिली कि कोयले का यह संकट कहीं दिसंबर माह तक न खिंच जाए। कर्मचारियों व अधिकारियों का मानना था कि यदि अगले कुछ दिनों में स्थिति सामान्य नहीं हुई, तो फेज-2 से बिजली उत्पादन पर और भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकता है।
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