परिवहन निगम की बसों की हालत दयनीय फिर भी ढोए जा रहे यात्री

         गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरों
अंबेडकरनगर : निगम को लाखों रुपये कमा कर देने वाली रोडवेज बसों की हालत इन दिनों खराब है। सालों से सड़क पर दौड़ रही बसें जर्जर हो चुकी हैं। बरसात होने पर इनकी छतों से पानी टपकता है। बसों की सीटें धंस गई हैं। इसके चलते कई बसें डिपो की शोभा बढ़ा रही हैं। वहीं एक दर्जन बसें अपनी उम्र पूरी कर नीलामी का इंतजार कर रही हैं। इससे रोडवेज की आमदनी पर भी फर्क पड़ा है। प्रतिदिन छह लाख कमाई करने वाली इन बसों की आमदनी घटकर पांच लाख 10 हजार तक पहुंच गई है। सितंबर में एक दिन की अधिकतम कमाई पांच लाख 63 हजार बताई गई।अकबरपुर डिपो के बेड़े में 75 बसें थीं। इनमें से 19 बसें ऐसी हैं, जो 11 लाख किलोमीटर चल चुकी हैं। रोडवेज प्रशासन ने इन बसों को टांडा डिपो भेज इनके नीलामी की स्वीकृति रोडवेज मुख्यालय लखनऊ से मांगी है। बची 57 बसों में चार की सीट खराब हो जाने से ये बसें इन दिनों अकबरपुर डिपो की शोभा बढ़ा रही हैं। इसके अलावा कई बसों के टायर घिस जाने के बावजूद उनको सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। कई ऐसी बसें भी हैं, जिनमें स्टीयरिग आयल व अन्य छोटे-मोटे उपकरणों की कमी है। इसके बावजूद इन बसों में सवारियां ले जायी जा रही हैं। नौकरी बचाने के दबाव में चालक-परिचालक अपनी और यात्रियों की जान जोखिम में डाल संचालन करने पर मजबूर हैं।
टिकट मशीनें खराब, परिचालकों पर लग रहा जुर्माना : रोडवेज में टिकट काटने वाली 130 मशीनों में 95 ई-टिकटिग मशीन खराब हो चुकी हैं, जबकि दो मशीनें रोडवेज प्रशासन को ढूंढे से भी नहीं मिल रही हैं। इसके चलते कई बसों के परिचालक यात्रियों को हाथ से टिकट बनाकर दे रहे हैं। कई बार पूरे टिकट भी नहीं कट पाते और अधिकारियों की चेकिग में परिचालक बलि का बकरा बन जाते हैं। बीते माह एक परिचालक पर सहायक यातायात निरीक्षक चार डब्लूटी (बिना टिकट यात्रा) पर जुर्माना भी लगा चुके हैं। इसको लेकर कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।
टायर के बिना किसी बस का संचालन ठप नहीं है। हालांकि कुछ पा‌र्ट्स की जरूर कमी है। ऐसे पा‌र्ट्स को बाजार से खरीदकर बसों को ठीक करवाया जाता है। उम्र पूरी कर चुकी 12 बसों की नीलामी की अनुमति निदेशालय से मांगी गई है।

एसएन चौधरी, एआरएम

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