मिनी बंगाल कहे जाने वाले वाराणसी में इसकी धूम मची है। भले ही इस बार कोरोना के कारण पंडाल और मूर्तियां छोटी रखी गई थीं लेकिन मां दुर्गा की विदाई पारंपरिक रूप से हो रही है।
खासकर बंगाली संस्थाओं में सिंदूर खेला का आयोजन सुबह से ही हो रहा है। बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर खेला की 400 साल से ज्यादा पुरानी परंपरा का निर्वाह किया। नवरात्र में मां दुर्गा के आखिरी दिन यानी विजयादशमी के दिन पंडालों में महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं।बंगीय समाज की ओर से मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के समय सिंदूर खेला की परंपरा निभाई गई। विजयादशमी पर पंडालों में महिलाओं ने मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया। शिवाला, सोनारपुरा, बंगाली टोला, और भेलूपुर स्थित जिम सपोटिंग क्लब समेत अन्य पंडालों में सिंदूर खेला में सुहागिन महिलाओं ने माता को सिंदूर चढ़ाया।
खासकर बंगाली संस्थाओं में सिंदूर खेला का आयोजन सुबह से ही हो रहा है। बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर खेला की 400 साल से ज्यादा पुरानी परंपरा का निर्वाह किया। नवरात्र में मां दुर्गा के आखिरी दिन यानी विजयादशमी के दिन पंडालों में महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं।बंगीय समाज की ओर से मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के समय सिंदूर खेला की परंपरा निभाई गई। विजयादशमी पर पंडालों में महिलाओं ने मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया। शिवाला, सोनारपुरा, बंगाली टोला, और भेलूपुर स्थित जिम सपोटिंग क्लब समेत अन्य पंडालों में सिंदूर खेला में सुहागिन महिलाओं ने माता को सिंदूर चढ़ाया।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know