काशीपुराधिपति के भव्यतम दरबार में महादेव के साथ उनके विग्रह भी अब नए सिरे से स्थापित किए जाएंगे। मोद, प्रमोद, आमोद विनायक के साथ ही शिवालयों की अपनी अलग शृंखला होगी।
खास बात यह है कि मंदिरों की मणिमाला में सभी विग्रहों के अपने स्थान होंगे। विनायक एक ही परिसर में भक्तों को दर्शन देंगे, वहीं नीलकंठ महादेव का मंदिर भी अपने प्राचीन वैभव के साथ स्थापित होगा। ललिता घाट से बाबा दरबार आने वाले भक्तों को मणिमाला की परिक्रमा और दर्शन का लाभ मिलेगा।कार्यदायी एजेंसी की ओर से मणिमाला के लिए 27 मंदिरों का निर्माण किया जाएगा। सरस्वती फाटक से इसका श्रीगणेश होगा और बाबा दरबार तक के सभी विग्रह अपने स्थान पर पुनर्प्रतिष्ठित होंगे। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए ध्वस्तीकरण के दौरान मंदिर निकले थे।विनायक, शिवगण, राम दरबार, सत्यनारायण, मां अन्नपूर्णा, शनिदेव, हनुमान यक्ष, भैरव और भगवान शिव के प्रतिष्ठित मंदिर थे। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि मणिमाला की डिजाइन तैयार हो चुकी है। निर्माण कार्य भी जल्द आरंभ हो जाएगा। नवंबर तक काशी विश्वनाथ धाम का काम पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। फिलहाल 75 फीसदी से अधिक काम पूरा हो चुका है।
खास बात यह है कि मंदिरों की मणिमाला में सभी विग्रहों के अपने स्थान होंगे। विनायक एक ही परिसर में भक्तों को दर्शन देंगे, वहीं नीलकंठ महादेव का मंदिर भी अपने प्राचीन वैभव के साथ स्थापित होगा। ललिता घाट से बाबा दरबार आने वाले भक्तों को मणिमाला की परिक्रमा और दर्शन का लाभ मिलेगा।कार्यदायी एजेंसी की ओर से मणिमाला के लिए 27 मंदिरों का निर्माण किया जाएगा। सरस्वती फाटक से इसका श्रीगणेश होगा और बाबा दरबार तक के सभी विग्रह अपने स्थान पर पुनर्प्रतिष्ठित होंगे। काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए ध्वस्तीकरण के दौरान मंदिर निकले थे।विनायक, शिवगण, राम दरबार, सत्यनारायण, मां अन्नपूर्णा, शनिदेव, हनुमान यक्ष, भैरव और भगवान शिव के प्रतिष्ठित मंदिर थे। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि मणिमाला की डिजाइन तैयार हो चुकी है। निर्माण कार्य भी जल्द आरंभ हो जाएगा। नवंबर तक काशी विश्वनाथ धाम का काम पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। फिलहाल 75 फीसदी से अधिक काम पूरा हो चुका है।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know