भारत । नवरात्रि के बाद आने वाली विजयादशमी वास्तव में ऋतुओं के संधि स्थल पर मनाया जाने वाला वह पर्व है जिसे हम असत्य पर सत्य की विजय के रूप में देखते हैं।नवरात्रि की नवमी तिथि में देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का संहार हो या श्रीराम द्वारा रावण वध किया जाना ये सभी बातें बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में ही परिलक्षित होती हैं।
यह पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
ऐसा विश्वास है कि दशहरा के दिन प्रारंभ किए जाने वाले कार्य में विजय प्राप्त होती है।प्राचीन काल में राजा इसी दिन विजय की प्रार्थना कर रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।चाहे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाए या भगवान राम को विजय के रूप में,दोनो ही स्थितियों में दशहरा शौर्य उपासना,शक्ति पूजा का पर्व है।
शौर्य और वीरता की पूजक भारतीय संस्कृति के समाज  और व्यक्ति के अंदर वीरता के गुण विकसित हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। दशहरा पर्व काम क्रोध मद मत्सर अहंकार आलस्य हिंसा और चोरी इन 10 प्रकार के पापों के परित्याग की प्रेरणा देता है।

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