आदि विश्वेश्वर महादेव और ज्ञानवापी प्रकरण में दो और मुकदमा चलेगा। मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर स्थित आदि विश्वेश्वर महादेव व नन्दीजी महाराज की तरफ से दाखिल दो याचिका को मूलवाद के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया है। 22 सितम्बर को सुनवाई की तिथि नियत की है। हफ्तेभर पूर्व दोनों वाद की पोषणीयता के बिंदु पर बहस पूरी हो गई थी।
पहले वाद में आदिविश्वेश्वर की तरफ से महंत शिवप्रसाद पाण्डेय व अन्य ने वाद दाखिल किया है। कहा गया कि सतयुग से पहले भगवान शिव ने स्वयं ज्योतिर्लिग की स्थापना की थी जो आज भी विद्यमान हैं। वह नष्ट नहीं हो सकता। मंदिर की संरचना परिवर्तित की गयी, लेकिन नीचे शिवलिंग नहीं टूटा। आज भी वहीं है। इससे ज्ञानवापी मुस्लिमों की नहीं हो सकती। वहां ईश्वर थे और हैं। हिंदुओं को पूजा पाठ और ज्योतिर्लिंग की पूजा का अधिकार है। यूपी सरकार द्वारा 1983 में काशी विश्वनाथ एक्ट बना। जिसमें हिंदुओं को पूजा पाठ का अधिकार दिया गया है। ऐसे में वहां भव्य मंदिर बने। साथ ही हिंदुओं के प्रवेश व पूजा पाठ में हस्तक्षेप को रोकने का कोर्ट से अनुरोध किया गया है।
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