जौनपुर : गांवों में लाखों रुपये की लागत से बनाए गए सामुदायिक शौचालयों में ताला लटक रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों की मुश्किलों को आसान बनाने के लिए भारी भरकम बजट खर्च कर बनाए गए इन शौचालयों का लाभ किसी को नहीं मिल पा रहा है। इन्हें प्रयोग में लाने में सबसे बड़ी बाधा साफ-सफाई को लेकर आ रही है। शौचालयों के रख-रखाव का जिम्मा समूहों को सौंप तो दिया गया, लेकिन इसकी सही तरह से मानिटरिग नहीं हो रही है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी 1,740 गांवों में सामुदायिक शौचालय बनाए जाने के निर्देश दिए गए। इसमें 1,693 गांवों में निर्माण पूर्ण हो चुका है, जबकि 47 पर अभी काम चल रहा है। अधिकारियों की ओर से दलील दी जा रही है कि 1,200 सामुदायिक शौचालयों को समूहों को सौंप दिया गया है, जिनके साफ-सफाई व संचालन की जिम्मेदारी उन्हीं की है। हालांकि ऐसा हो नहीं रहा है। अधिकांश गांवों में बने सामुदायिक शौचालयों में ताला लटक रहा है। इससे आस-पास के लोग इस महत्वपूर्ण योजना से वंचित हैं। समूहों को दिए जा रहे हैं नौ हजार रुपये

सामुदायिक शौचालयों के संचालन का जिम्मा समूहों को दिया गया है। इसकी साफ-सफाई को बकायदा नौ हजार रुपये भी दिए जा रहे हैं। बावजूद इसके अधिकांश सामुदायिक शौचालयों में ताले लटक रहे हैं। मीरगंज के करियांव गांव में तैयार सामुदायिक शौचालय का ताला आज तक नहीं खुला। तकरीबन पांच हजार आबादी को देखते हुए यहां सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया था।

-------------------- उम्मीद थी कि थाने के सामने बने सामुदायिक शौचालय से काफी संख्या में लोगों को लाभ मिलेगा। थाने आने वाले फरियादियों को भी काफी दिक्कत होती थी। निर्माण पूर्ण होने के बाद भी इसमें ताला बंद रखना समझ से परे है।

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