बलरामपुर
संयुक्त जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सकों व अन्य कर्मियों की संवेदनहीनता कम होने का नाम नहीं ले रही है। तमाम हिदायतों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं है। गुरुवार को अस्पताल में प्रसव कराने के लिए भर्ती महिला से सर्जन व स्टॉफ नर्स ने रिश्वत मांगा। रिश्वत न दे पाने पर महिला को अस्पताल से जबरन रेफर कर दिया गया। रेफर करने के लिए महिला के परिजनों ने उसे नगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां पर महिला ने सामान्य प्रसव के बाद मृत बच्चे को जन्म दिया। प्रसूता के पति ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की। जिसके बाद स्वास्थ्य महकमा जागा। सीएमएस ने अस्पताल के सर्जन व स्टॉफ नर्स का वेतन रोकते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई करने की बात कही है। यही नहीं इस मामले में दोषी एक आशा व चतुर्थ श्रेणी कर्मी की सेवा समाप्त करने के लिए सीएमएस ने पत्र लिखा है।
संयुक्त जिला अस्पताल भ्रष्टाचार व अनियमितता को लेकर हमेशा चर्चा में रहता है। यह जिले का प्रमुख अस्पताल है। यहां पर अक्सर गंभीर शिकायतें मिलती हैं। बावजूद इसके व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार बुधवार देर शाम नगर के खलवा मोहल्ला निवासी 32 वर्षीय नीलम पत्नी तुलसीराम अपना प्रसव कराने के लिए अस्पताल पहुंची थी। तमाम जांच और औपचारिकता पूरी न कर पाने के कारण नीलम को बुधवार को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा सका था। सीएमएस डा. प्रवीन कुमार ने बताया कि प्रसूता नीलम को गुरुवार सुबह सात बजे अस्पताल में भर्ती किया गया। वह हार्ट की मरीज है, जिसका इलाज चल रहा है। सीएमएस ने बताया कि इसका पहला बच्चा भी जिला महिला अस्पताल में पैदा हुआ था। सीएमएस के अनुसार महिला को भर्ती करने के बाद जब उसे ऑपरेशन के लिए ले जाया गया तो उसे एनेस्थीसिया के चिकित्सक ने रिजेक्ट कर दिया। इसी के बाद कहानी शुरू होती है। प्रसूता के पति का आरोप है कि अस्पताल के सर्जन डा. अरुण कुमार ने उनसे ऑपेरशन के लिए सात हजार रुपए मांगे। यही नहीं अस्पताल की मनबढ़ स्टॉफ नर्स सावित्री जायसवाल ने उपचार के लिए उससे एडवांस में तीन हजार रुपए की मांग की। इसके अलावा दो अन्य कर्मियों ने भी उससे पैसों की मांग की। प्रसूता के पति तुलसीराम ने तब पैसा देने से मना कर दिया तो उसकी गभवर्ती पत्नी को जबरन रेफर कर दिया गया। आनन-फानन में वह उसे लेकर नगर के निजी चिकित्सालय निदान में पहुंचा, जहां पर सामान्य प्रसव के दौरान महिला ने मृत बच्चे को जन्म दिया।
महिला के पति ने जिलाधिकारी के सीयूजी नंबर पर संपूर्ण प्रकरण की शिकायत की। जिसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय से फोन सीएमएस के पास पहुंचा। बाद में सीएमएस ने शिकायतकर्ता से बात किया। सीएमएस डा. प्रवीन कुमार ने बताया कि प्रसूता के पति ने अस्पताल में सर्जन व स्टॉफ नर्स सहित चार कर्मियों पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। यह बेहद गंभीर मामला है। जिसे दृष्टिगत रखते हुए अस्पताल के सर्जन डा. अरुण कुमार, सिस्टर इंचार्ज सावित्री जायसवाल का वेतन रोक दिया गया है। इनसे स्पष्टीकरण तलब किया गया है। इन दोनों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए आगे भी पत्र लिखा जाएगा। सीएमएस ने यह भी बताया कि अस्पताल कर्मी नीलम व एक आशा की सेवा समाप्ति के लिए भी पत्र लिखा गया है।
अभी पिछले दिनों जिले के दौरे पर आई राज्य महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल के औचक निरीक्षण में अस्पताल की पोल खुल गई थी। अस्पताल के सीएमएस सहित कई अन्य चिकित्सक अपनी ड्यूटी से गायब मिले थे। यही नहीं लेबर रूम में प्रसूता से रिश्वत लेने का मामला सामने आया था, जिस पर उन्होंने सख्त रुख अपनाया था। अस्पताल प्रशासन ने इस प्रकरण पर कोई कार्रवाई करने के बजाय प्रसूता को ही जबरन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया था। लेबर रूम में मरीजों के तीमारदारों ने कहा कि स्टॉफ नर्स सावित्री जायसवाल बगैर पैसे के मरीज को हाथ तक नहीं लगाती हैं। लोगों ने कहा कि अगर कोई उनसे जवाब-सवाल करता है तो वह कहती हैं कि पैसा अधिकारियों तक पहुंचाना पड़ता है, इसलिए लिया जाता है। इसके पहले कई बार स्टॉफ नर्स सावित्री जायसवाल, दीपा पांडेय व उसकी पूरी टीम की गंभीर शिकायतें मिल चुकी हैं।
वहीं इस संबंध में जिलाधिकारी श्रुति ने कहा है कि संयुक्त जिला अस्पताल में व्याप्त अनियमितताओं की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। तमाम हिदायतों के बावजूद कोई सुधार नहीं हो रहा है। बेहद गंभीर प्रकरण सामने आया है। ऐसा लगता है कि सीएमएस की पकड़ उनके ही कर्मियों पर नहीं है। बेहतर होगा कि अस्पताल प्रशासन समय रहते अपनी कार्यशैली में सुधार लाए, अन्यथा ऐसे मामलों में जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
आनंद मिश्र
बलरामपुर
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