उत्तर भारत का गेट-वे के रूप में अपनी पहचान बना रहा पूर्वांचल नित नये प्रगति की यात्रा तय कर रहा है। वाराणसी से हल्दिया जलमार्ग का विकास वाराणसी के साथ ही पूर्वांचल के उत्पादों को बांग्लादेश व नेपाल तक पहुंचाने के सम्भावनाओं का द्वार खोल दिया है। जो कृषि निर्यात का बड़ा माध्यम बन सकता है। दूसरी तरफ लखनऊ से बलिया तक पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और मेरठ से वाराणसी तक गंगा एक्सप्रेस-वे यात्रा की दूरी कम करने के साथ-साथ औद्योगिक कॉरिडोर के विकास की उड़ान भरने जा रहा है। निश्चित ही यह एक्सप्रेस-वे पूर्वी यूपी को पश्चिमी यूपी और दिल्ली को जोड़ने में काफी मददगार साबित होगा।
उद्योग और रोजगार चुनौतियों के समाधान के धार्मिक व प्राकृतिक पर्यटन के विकास के लिए पूर्वांचल के एक बेहतर विकल्प साबित होने जा रहा है। काशी विश्वनाथ धाम व विंध्य धाम धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ छोटे-छोटे रोजगार के अवसर पैदा करने जा रहे हैं। कृषि में नयी तकनीक के लिए वाराणसी में स्थापित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान मिल का पत्थर साबित होगा। वाराणसी और आसपास के जिलों से विदेशों तक निर्यात हुए कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकार एपीडा जैसे राष्ट्रीय संस्थान अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know