*जहां भागवत कथा होती है वहां स्वयं वास करते हैं भगवान श्री कृष्ण : पं- संतोष मिश्र*

*बावन* आदिनाथ धाम मे चल रही भागवत कथा के आज पंचम दिवस की कथा मे कथा व्यास पं संतोश मिश्र ने आज  श्री क्रष्ण जन्म की कथा सुनाई जिसमे बताया कि जब संसार मे पाप और अत्याचार बड जाता है तब भगवान को अपने सच्चे भक्तों की रक्षा करने के लिए प्रगट हो ना पडता है गीता मे कहा गया है यदा यदा हि धर्मस्य ज्ञलार्नि भवति भारत अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं स्रजाम्यहम  परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्क्रताम कि जब जब संसार मे अधर्म बड जाता है तब भगवान जन्म लेते है जैसे कंस के अत्याचार से सारा संसार परेशान हो गया था तब भगवान ने देवकी के पुत्र रुप मे जन्म ले कर कंस के अत्या चार को समाप्त करने के लिये जन्म लिया था कंस अपनी बहन देवकी को बहुत चाहता था उसने देवकी का विवाह बडी धूम धाम के साथ किया था लेकिन जब देवकी को ।ससुराल छोडने जा रहा था तभी रास्ते मे भविष्य वाणी हुई कि हे कंश जिसे आज तु इतने प्यार से छोडने जा रहा है उसी के आठवे पुत्र से तुम्हारी म्रुत्यु होगी इस भविष्य वाणी को सुनकर केवसुदेव और देवकी को कारागार मे डाल दिया और मथुरा का राजा बन गया अपने पिता उग्रसेन को राज्य से हटाकर कारागार मे डाल दिया और प्रजा पर अत्याचार करने लगा और एक एक करके सारे देवकी के पुत्रो का बध कर दिया लेकिन प्रभु ने जन्म लिया तब सारे कारागार के सिपाही सो गये भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को जन्म लिया बसुदेव ने रातो रात भगवान को नंद जी के यहां पहुंचा दिया और उसी समय नंद के यहा भी एक कन्या का जन्म हुआ था उसे लेगर बसुदेव पुनः कारागार मे वापस आ गये जैसे ही कन्या के रोने की आवाज हुई सारे सिपाही जाग गये और कंस को बताया कंस तुरौत कारागार पहुंचा और उसने जैसे ही कन्या को मारने के लिये उठाया वो हाथ से छूटकर आकाश मे पहुंच गयी और बोली हे कंस तू बहुत पापी है तुझे मारने वाला तो जन्म ले चुका है ।उसके बाद कथा व्यास ने बधाई गीत गाये और नंद के घर आनंद भयो जै कन्हैया लाल की आदि भजनो के माध्यम से भक्तों को भाव विभोर कर दिया कथा मे कथा के यजमान भगवान शरन पाठक सपत्नीक मौजूद रहै और बीडीसी सदस्य उमाकांत पाठक और उनके सभी सहयोगी उपस्थित रहे |
हिन्दीसंवाद के लिए शोभित अवस्थी की रिपोर्ट

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