बनारस की खूबसूरती को अवैध होर्डिंग और विज्ञापन खराब कर रहे हैं। विज्ञापन लगाने वाले की जुर्रत ऐसी कि शहर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए लगे हेरिटेज पोल तक को नहीं बख्शा है। काशी की धरोहर भी इन विज्ञापनों से अछूती नहीं है। गंगा के घाट हों, प्राचीन मंदिर या फिर सारनाथ का पुरातात्विक इलाका। हर जगह अवैध होर्डिंग व विज्ञापन की भरमार है।
शहर में नियमों को ताक पर रखकर होर्डिंग व विज्ञापन लगाने का काम जारी है। जिम्मेदारों की लापरवाही किसी दिन बड़े हादसे का सबब भी बन सकती है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि जनहित के साथ खिलवाड़ कर रहे होर्डिंग से नगर निगम को राजस्व के रूप में एक ढेला तक नहीं मिलता।होर्डिंग अवैध रूप से लगाए गए हैं, उसमें अस्पताल, कोचिंग संस्थान, दुकान, वर्क फ्राम होम सहित ढेर सारे विज्ञापनों की श्रेणियां शामिल हैं। इन्हें न तो नगर निगम से अनुमति मिली है और न ही जिला प्रशासन की। तब भी सौ से अधिक अवैध होर्डिंग शहर की खूबसूरती पर दाग बने हैं। कचहरी लेकर कैंट रेलवे स्टेशन, मैदागिन, चौक, गिरजाघर, लंका, मालवीय मार्केट, गोदौलिया सहित कई जगहों पर होर्डिंग की भरमार है।
शहर में नियमों को ताक पर रखकर होर्डिंग व विज्ञापन लगाने का काम जारी है। जिम्मेदारों की लापरवाही किसी दिन बड़े हादसे का सबब भी बन सकती है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि जनहित के साथ खिलवाड़ कर रहे होर्डिंग से नगर निगम को राजस्व के रूप में एक ढेला तक नहीं मिलता।होर्डिंग अवैध रूप से लगाए गए हैं, उसमें अस्पताल, कोचिंग संस्थान, दुकान, वर्क फ्राम होम सहित ढेर सारे विज्ञापनों की श्रेणियां शामिल हैं। इन्हें न तो नगर निगम से अनुमति मिली है और न ही जिला प्रशासन की। तब भी सौ से अधिक अवैध होर्डिंग शहर की खूबसूरती पर दाग बने हैं। कचहरी लेकर कैंट रेलवे स्टेशन, मैदागिन, चौक, गिरजाघर, लंका, मालवीय मार्केट, गोदौलिया सहित कई जगहों पर होर्डिंग की भरमार है।
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