जीवनदायिनी गंगा के प्रवाह से घाटों के क्षरण को बचाने के लिए बनाई जा रही नहर परियोजना में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यूपीपीसीएल को सौंपी गई इस परियोजना का एमओयू बंधी खंड से किया गया था, मगर भुगतान की जिम्मेदारी मैकेनिकल शाखा को दे दी गई। ऐसे में बंधी खंड की जानकारी के बिना ही परियोजना का 60 फीसदी भुगतान कर दिया गया।
इतना ही नहीं, यूपीपीसीएल की वाराणसी शाखा होने के बाद भी बलिया शाखा को कार्यदायी संस्था बनाया जाना भी सवालों के घेरे में है। अब जिला प्रशासन ने कार्यदायी संस्था के साथ इससे जुड़े सभी विभाग व शाखाओं से परियोजना की रिपोर्ट तलब की है।काशी में घाटों की ओर से बढ़ रहे गंगा के दबाव को कम करने के लिए रेती की तरफ 45 मीटर चौड़ी नहर निर्माण की योजना सिंचाई विभाग ने बनाई थी। 11.95 करोड़ रुपये की इस परियोजना की जिम्मेदारी यूपीपीसीएल की बलिया इकाई को दी गई और इसका एमओयू (समझौता पत्र) सिंचाई विभाग की बंधी खंड से किया गया।
बंधी खंड को इस एमओयू की प्रति तक नहीं दी गई और उसे इस परियोजना में शामिल ही नहीं किया गया।
इतना ही नहीं, यूपीपीसीएल की वाराणसी शाखा होने के बाद भी बलिया शाखा को कार्यदायी संस्था बनाया जाना भी सवालों के घेरे में है। अब जिला प्रशासन ने कार्यदायी संस्था के साथ इससे जुड़े सभी विभाग व शाखाओं से परियोजना की रिपोर्ट तलब की है।काशी में घाटों की ओर से बढ़ रहे गंगा के दबाव को कम करने के लिए रेती की तरफ 45 मीटर चौड़ी नहर निर्माण की योजना सिंचाई विभाग ने बनाई थी। 11.95 करोड़ रुपये की इस परियोजना की जिम्मेदारी यूपीपीसीएल की बलिया इकाई को दी गई और इसका एमओयू (समझौता पत्र) सिंचाई विभाग की बंधी खंड से किया गया।
बंधी खंड को इस एमओयू की प्रति तक नहीं दी गई और उसे इस परियोजना में शामिल ही नहीं किया गया।
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