**संतोष कुमार श्रीवास्तव, अयोध्या विधानसभा रिपोर्टर**
*प्रेसनोट।*
*अयोध्या।*
माॅं सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीपप्रज्जवलन के साथ वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ माननीय जनपद न्यायाधीश महोदय श्री ज्ञान प्रकाश तिवारी जी के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश श्री तिवारी ने कहा कि लोक अदालत की मूल भावना में समाहित है लोक कल्याण की भावना। सुलह समझौता के दौरान सभी का मान, सभी का सम्मान, सभी को न्याय मिले इसका ध्यान रखा जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालत में दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर आपसी सुलह-समझौते के माध्यम से वादों को निस्तारित कराया जाता है। इतिहास में दर्ज है कि सदियों पहले जब अदालतें नहीं हुआ करती थी तब दो पक्षों के आपसी मतभेद को सुलह-समझौता के माध्यम से समाज के गणमान्य व्यक्ति एक निर्धारित स्थल पर बैठकर दोनों पक्षों की बात सुनकर यह निर्णय करते थे कि दोनों पक्षों का हित किसमें हैं। इसी को देखते हुए सुलह-समझौता कराते थे और समाज में इसके सार्थक परिणाम भी दिखाई पड़तें थे। दोनों पक्षों के मध्य आपसी क्लेष, मतभेद एवं दुर्भावना समाप्त हो जाती थी। लोक कल्याण के भावना से ओत-प्रोत उसी स्वरूप को माननीय उच्चतम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विस्तार रूप देते हुए एक स्थल एक मंच पर बहुत सारे वादों को सुलह-समझौता के आधार पर समाप्त कराने के उद्देश्य से लोक अदालत आयोजित कराने का निर्देश दिये जाते हैं, जिसमें दोनों पक्षों के हित के साथ सामाजिक प्रेम भावना भी समाहित हैं। उन्होंने आगे कहा कि समाज एवं राष्ट्र के हित में हैं कि लोग मिल-जुल कर प्रेम भावना से रहे। यदि आपसी मतभेद पनपते भी है, तो उसे शांत एव सदभाव के साथ समाप्त करने का प्रथम प्रयास दोनों पक्षों द्वारा किया जाना चाहिए। यदि प्रथम प्रयास में दोनों पक्ष सफल नहीं होते है तभी उन्हें न्यायालय के शरण जाना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि जनपद न्यायालय परिसर के अतिरिक्त क्लेक्टेªट एवं सभी तहसीलों में आपसी सुलह-समझौता के आधार पर वादों का निस्तारण कराया जाएगा।
इस अवसर पर सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती रिचा वर्मा ने कहा कि लोक अदालत के आयोजन में कोविड प्रोटोकाॅल एवं गाइड लाइन का पालन कराने के साथ आने वाले दोनों पक्षों के बैठने, शुद्ध पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था करायी गई है। लोक अदालत में आने वाले सभी व्यक्ति के सुविधा का ख्याल रखा गया है और यह प्रयास किया जा रहा है कि आज इस वृहद लोक अदालत में अधिक से अधिक वादों को आपसी सुलह-समझौता के माध्यम से समाप्त कराकर लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्देश्य का लाभ दिलाया जा सके। उन्होंनें आगे बताया की धारा 138 पराक्राम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.ऐक्ट), बैंक वसूली वाद, श्रम विवाद वाद, विद्युत एंव जलवाद बिल, (अशमनीय छोड़ कर) अन्य (आपराधिक शमनीय, पारिवारिक एंव अन्य व्यवहार वाद, आपराधिक शमनीय वाद, धारा 138 पराक्राम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.ऐक्ट),बैंक वसूली वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर याचिकाऐं, श्रम विवाद वाद, विद्युत एंव जलवाद बिल, (अशमनीय छोड़ कर), पारिवारिक विवाद, भूमि अधिग्रहण वाद, सर्विस मैटर से संबंन्धित वेतन, भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले, राजस्व वाद, जो जनपद न्यायालय में लम्बित हों, अन्य सिविल वाद आदि वाद निस्तारित किये जायेंगे।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know