काव्य संग्रह "कोरोना काल में कविता'' का हुआ आनलाईन लोकार्पण संग्रह की कविताओं में जिजीविषा , प्रेरणा एवं उत्साह के स्वर समाहित : मनुजा द्विवेदी
बांदा। उत्तर प्रदेशीय बेसिक शिक्षक-शिक्षिकाओं के साझा काव्य संग्रह "कोरोना काल में कविता" का एक भव्य आनलाईन समारोह में रचनाकारों द्वारा लोकार्पण किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में मनुजा द्विवेदी ने कहा कि जिस प्रकार शरीर रक्षा हेतु भोजन करते हैं उसी प्रकार मानसिक क्षुधा की पूर्ति हेतु साहित्य का पठन एवं सृजन आवश्यक है। शैक्षिक संवाद मंच द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह "कोरोना काल में कविता" की रचनाओं में जीवन की प्रत्यक्ष अनुभूतियों का दर्शन होता है। इन कविताओं में जिजीविषा, प्रेरणा एवं उत्साह के स्वर समाहित हैं।
उक्त भावोद्गगार शैक्षिक संवाद मंच द्वारा शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय, बांदा के संपादन में प्रकाशित साझा काव्य संग्रह "कोरोना काल में कविता" के गत दिवस आयोजित एक भव्य आनलाईन लोकार्पण समारोह में अध्यक्ष के रूप में शिक्षाविद् मनुजा द्विवेदी, झांसी ने व्यक्त किये। आगे कहा कि इन कविताओं ने कोरोना संक्रमण के दौरान मानव मन को नैराश्य, अवसाद एवं भय से मुक्त कर सकारात्मकता, आशा-विश्वास एवं दृढ़ता प्रदान की है। यह संकलन ऐतिहासिक दस्तावेज बन गया है।
 इसके पूर्व कार्यक्रम का आरम्भ राजबहादुर यादव, जौनपुर की वाणी वंदना से हुआ। सामूहिक लोकार्पण पश्चात रचनाकारों ने अनुभव साझा किये। पायल मलिक मुजफ्फर नगर ने संग्रह को एक उपलब्धि बताया तो अनीता मिश्रा, बलरामपुर ने कहा कि रचनाएं अमर होती हैं और रचनाकार भी। ये कविताएं भयावह दौर के मानवीय संवेदना की साक्षी हैं। कमलेश पांडेय, वाराणसी ने कोरोना के अच्छे-बुरे प्रभावों वाली कविताओं से युक्त बताया तो मोनिका सिंह, बिजनौर ने कहा कि पुस्तक के संपादकीय में सुख दुख अनुभूतियों का वर्णन है जो पूरी किताब का सारांश पाठक के सामने रख देता है। बिधु सिंह ने पुस्तक को मील का पत्थर बताया तो निशी श्रीवास्तव, लखनऊ ने कहा कि पुस्तक प्राप्त करना एक मां के हाथ में शिशु के आने की खुशी जैसा है। यह बच्चों के लिए विरासत है। अनिल राजभर, वाराणसी ने कोरोना पर कविता पढ़ी। राजबहादुर यादव ने कहा कि पुस्तक कोरोना की स्मृतियों को जीवित रखेगी। डा. रचना सिंह (उन्नाव), डा. शालिनी गुप्ता (सोनभद्र), दीपा रानी गुप्ता (लखनऊ), प्रतिभा यादव (सहारनपुर), शैला राघव (गाजियाबाद), रीता गुप्ता (बांदा),  पूनम नामदेव (झांसी) एवं शीलचंद्र जैन 'शास्त्री' (ललितपुर) ने भी काव्य संग्रह पर भावुक कर देने वाले अनुभव साझा किये। कार्यक्रम का संचालन  अर्चना सिंह, वाराणसी एवं रश्मि पांडेय, फतेहपुर ने किया। आभार व्यक्त करते हुए संपादक प्रमोद दीक्षित मलय ने कहा कि संग्रह में 81 शिक्षक-शिक्षिकाओं की रचनाएं सम्मिलित हैं। कार्यक्रम में डा. रेणु सिंह, डा. सुमन गुप्ता, कंचन बाला, सीमा कुमारी, सुधारानी, गीता भाटी, मीना भाटिया, अनुराधा दोहरे आदि रचनाकारों की ऊर्जामयी उपस्थिति से समारोह गौरवान्वित हुआ।।
रिपोर्ट-मयंक शुक्ला के साथ रिपोर्टर रोशन कुशवाहा की न्यूज़

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