नंदी महाराज और आदि विश्वेश्वर मंदिर की तरफ से दाखिल दो मुकदमों को सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने मूल वाद के रूप में निषेधाज्ञा वाद दर्ज कर लिया। बुधवार को हुई सुनवाई में अदालत ने विपक्षी पक्षकारों काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट, सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया को नोटिस जारी किया। साथ ही लिखित आपत्ति के लिए 22 अक्तूबर और वाद बिंदु तय करने के लिए 29 अक्तूबर की तिथि नियत कर दी। साथ ही वादी पक्ष को पैरवी के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
अदालत ने इन दोनों मामलों में मंगलवार को दिए गए आदेश में कहा था कि वादी गण हिदू हैं, प्रश्नगत संपत्ति वक्फ बोर्ड की संपत्ति लिस्ट में नहीं है। इस कारण वक्फ एक्ट लागू नहीं होता है। ऐसा कोई साक्ष्य भी नहीं है, जिससे साबित हो कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति है।कोर्ट ने कहा कि वक्फ एक्ट 1955 की धारा 89 में वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने पर वाद स्वीकार करने के पहले दो माह का नोटिस देना जरूरी है जो इन दोनों मामलों में लागू नहीं होती है। ऐसे में मूलवाद के रूप में मुकदमा दर्ज कर सुनवाई किए जाने का आदेश दिया था।

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