ज्ञानवापी परिसर स्थित नंदी महाराज और काशी विश्वेश्वर मंदिर की ओर से दाखिल दो मुकदमों में सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने ग्राह्यता के बिंदु पर सुनवाई पूरी की। अदालत ने सुनवाई के बाद 20 सितंबर को आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित की है।
अदालत में दलील सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने पेश की। आदि विश्वेश्वर की तरफ से महंत शिवप्रसाद पांडेय आदि ने मुकदमा दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि सतयुग से पहले भगवान शिव ने स्वयं ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी, जो शाश्वत है वह नष्ट नहीं हो सकता। यूपी सरकार द्वारा 1983 में काशी विश्वनाथ एक्ट बना, जिसमें हिंदुओं को पूजा-पाठ का अधिकार दिया गया है।

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