गणेश के पूजन के उपरांत काशीवासियों ने महालक्ष्मी का आह्वान किया। धन-धान्य और पुत्र की कामना के साथ महिलाओं ने सोरहिया पूजन की परंपरा का निर्वहन किया। कोविड प्रोटोकॉल को देखते हुए सोरहिया मेला तो नहीं सजा, लेकिन श्रद्धालुओं ने माता लक्ष्मी के दर्शन किए। मां भगवती को 16 गांठ का धागा अर्पित करके श्रद्धालुओं ने बांधा और 16 दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प भी लिया।
सोमवार को मां लक्ष्मी मंदिर के महंत पं. शिव प्रसाद पांडेय लिंगिया महाराज ने सोरहिया पूजन की परंपरा निभाई। माता को सोलह गांठ के धागे को अर्पित किया गया। इसके बाद यही प्रसाद स्वरूप में घर-परिवार और रिश्तेदारों में अनुष्ठान करने वाली महिलाओं को वितरित हुआ। लक्ष्मीकुंड स्थित मां लक्ष्मी के मंदिर में प्रात: काल मां लक्ष्मी, सरस्वती और मां भगवती के तीनों स्वरूपों का पूजन किया गया।
सोमवार को मां लक्ष्मी मंदिर के महंत पं. शिव प्रसाद पांडेय लिंगिया महाराज ने सोरहिया पूजन की परंपरा निभाई। माता को सोलह गांठ के धागे को अर्पित किया गया। इसके बाद यही प्रसाद स्वरूप में घर-परिवार और रिश्तेदारों में अनुष्ठान करने वाली महिलाओं को वितरित हुआ। लक्ष्मीकुंड स्थित मां लक्ष्मी के मंदिर में प्रात: काल मां लक्ष्मी, सरस्वती और मां भगवती के तीनों स्वरूपों का पूजन किया गया।
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