उतरौला (बलरामपुर) मोहल्ला सुभाष नगर बड़े इमामबाड़े में दुल दुल का जुलूस कोविड संक्रमण के कारण इस वर्ष भी नहीं निकला।यह दूसरा वर्ष रहा जब सैकड़ों साल की परंपरा पर कोविड का ग्रहण लगा और सार्वजनिक स्थान पर किसी प्रकार के भीड़ वाले आयोजन पर सरकार ने पूरी तरह रोक लगा दी।
इमामबाड़ा में सुबह फजिर के नमाज के बाद इमाम हुसैन के वफादार घोड़े जुलजनाह को रेशमी व सूती चादर से ढक कर गुलाब व चमेली के फूलों से सजाकर लोगों के जियारत के लिए इमामबाड़े के अंदर ही तैयार किया गया। इमामिया ट्रस्ट के सदस्यों समेत इन्तेजामिया कमेटी के सदस्य के लोगों ने गेट के बाहर लोगों के हाथों को सेनिटाइज करने और मास्क लगाये रहने पर इमामबाड़े के अंदर प्रवेश करने दिया। इमामिया ट्रस्ट के अध्यक्ष ऐमन रिजवी के अनुसार दिन भर लोग जियारत को आते रहे ।शिया,सुन्नी समुदाय के साथ बड़ी संख्या में हिन्दू महिलाएं व बच्चे भी पाक साफ होकर दुल दुल पर फूल माला के साथ रंग बिरंगी चादरें व फूलों की चादर चढ़ाकर मन्नत व मुरादें मांगने व दुल दुल की जियारत को पहुंचते रहे।दिन भर जियारत का सिलसिला चलता रहा।
श्रद्धालुओं ने तेज धार की छुरियों व जंजीरों से लैस पुस्तजनी कर कर्बला के बहत्तर शहीदों को खेराजे अकीदत पेश की। हालांकि देश भर में आग का मातम,जंंजीरी मातम के लिए मशहूर उतरौला का मोहर्रम कोविड 19 संक्रमण के चलते फीका दिख रहा है।
असग़र अली
उत्तरौला
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