गंगा की रेती पर लगभग 5.35 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया गया था। नदी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि गंगा की बाढ़ में यह नहर डूब जाएगी। नहर के बाढ़ में डूबने के बाद जिला प्रशासन ने नहर की डिजाइन में बदलाव का फै सला किया है। 

बाढ़ का पानी उतरने के बाद नहर का आकलन कराया जाएगा। सिंचाई विभाग और यूपीपीसीएल विशेषज्ञों की टीम नहर का जायजा लेगी। विशेषज्ञों की राय के बाद नहर की डिजाइन में बदलाव का प्रस्ताव तैयार कराया जाएगा। बदलाव बाढ़ के खतरे को देखकर किया जाएगा। ताकि आने वाले समय में नहर बाढ़ में न डूबे। बीएचयू स्थित महामना मालवीय गंगा नदी विकास एवं जल प्रबंधन शोध केंद्र के चेयरमैन प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा का स्वभाव है कि वह अपने बाएं तरफ सिल्ट और दाहिनी तरफ बालू छोड़ आगे बढ़ती हैं। नहर वाला इलाका बालू जमा होने का क्षेत्र है। गंगा पार रेती पर नहर की वस्तुस्थिति का हाल तो बाढ़ का पानी उतरने के बाद ही पता चलेगा। 

तभी पता चलेगा कि नहर में कितना प्रतिशत बालू जमा है और कितनी नहर बची हुई है। अगर 10 से 25 फीसदी भी नहर में बालू होगा तो रेती पर नहर के प्रोजेक्ट में बदलाव करना होगा। क्योंकि हर साल नहर की डीसिल्टिंग करने में अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। नहर में अगर बालू का जमाव कम हुआ तो प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा सकता है। 

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