यमुना नदी का जलस्तर करीब पांच फीट कम हुआ है। इससे कछारी क्षेत्रों में जिन गलियों में एक से दो फीट पानी था वहां अब पानी उतर गया। अब यह एक लाख की आबादी के लिए मुसीबतों की बाढ़ छोड़ जा रही है। बाढ़ के साथ जलकुंभी, पन्नी, लकड़ी और तमाम जीव-जंतुओं के अवशेष लोगों के घरों में घुस गए हैं। बाढ़ से कुछ राहत मिलने के बाद अब लोग सफाई करने में जुटे हैं। लेकिन अब डायरिया और बुखार जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है अपना रौद्र रूप दिखा चुकीं गंगा-यमुना का वेग पिछले तीन दिनों से थम गया है। पिछले 48 घंटे में गंगा में फाफामऊ में 158 सेंटीमीटर पानी कम हुआ है, छतनाग में 190 सेंटीमीटर व नैनी में जलस्तर में 152 सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई है। गंगा और यमुना अब खतरे के निशान के नीचे बह रही हैं। इससे लोगों ने राहत की सांस ली है। पिछले 24 घंटों में फाफामऊ में 102, छतनाग में 115 व नैनी में 101 सेंटीमीटर पानी कम हुआ है बाढ़ घटने के साथ ही साथ बरसाती कीड़ों और मच्छरों की भरमार हो गई है। सांप-बिच्छू जैसे जहरीले जंतुओं के निकलने से लोग डरे हुए हैं। पीने के लिए लोगों को आज भी बोतल बंद पानी खरीदना पड़ रहा है। ये दिक्कतें हजारों परिवारों की हैं गंगा के कछारी इलाके के छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, सलोरी, अशोक नगर में पत्रकार कॉलोनी के पीछे, द्रौपदी घाट, राजापुर, गंगानगर, भुलई का पुरवा, नेवादा, ऊंचवागढ़ी, सरकुलर रोड, बेली कछार, मऊसरइया, ढरहरिया में अभी दुश्वारियां बनी हैं। जलकुंभी, कीचड़ और मरे जानवरों की दुर्गंध से लोग परेशान हैं। नेवादा, सरकुलर रोड, बघाड़ा की आंतरिक संकरी गलियां गंदगी से पटी हैं।

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