सावन सोमवार पर विशेष ---
मनोरम स्थली ओर पहाड़ी की तलहटी में विराजित है बड़केश्वर महादेव
* यहाँ पहुँचते ही होता है शांति का अहसास --
*पांच पांडवों की माता कुंती यहां करती थी शिव आराधना--
कुक्षी । पवित्र श्रावण मास में शिव भक्तों का शिवालयों में जाकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर दर्शन लाभ का क्रम जारी है ।
क्षेत्र में अनेक शिव मंदिर अपने आप में प्रसिद्ध और मान्यता प्राप्त है। प्राचीन और पुराने शिव मंदिरों में मालवा निमाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध बड़केश्वर महादेव जी का मंदिर भी है। बाग कुक्षी मार्ग से 3 किलोमीटर अंदर महाभारत कालीन बड़केश्वर महादेव का मंदिर पहाड़ों की तलहटी में स्थित है। इस मंदिर की प्राचीनता से अपने आप में मान्यता है यहां मंदिर के गर्भगृह में भगवान भोलेनाथ के दो शिवलिंग हैं और दोनों ही शिवलिंगो की जलधारा पूर्व मुखी है पूर्व मुखी जलधारा के शिवलिंग अपने आप में चमत्कारिक और भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करने वाले हैं जो पूरे भारत भर में बहुत ही कम मन्दिरों में नजर आएंगे। यहाँ पहुँचते ही भक्तों को साक्षात भगवान शिव के होने का अहसास होने लगता है और वह भोलेनाथ की भक्ति में रम जाता है। यहां पर कई लोग आकर उल्टे स्वस्तिक बनाकर अपनी मनोकामना मांगते हैं ओर पूरी होने पर स्वस्तिक को सीधा करते है।
कहा जाता है कि वनवास काल मे बाग गुफा में रहते हुए पांडवों ने अपनी मां कुंती के लिए यहां पहाड़ी के निकट बड़ के पेड़ के निचे उनके आराध्य महादेव की स्थापना की थी।सम्भव तया उसी कारण यहां महादेव का नाम बड़केश्वर कहलाया।
* मंदिर के सामने बहती कल-कल नदी प्राकृतिक सोंदय में चार-चांद लगाती है --
मंदिर के सामने कल बहती नदी और हरियाली के बीच स्थित बड़केश्वर में महाशिवरात्रि पर भी सबसे बड़ा मालवा निमाड़ का सात दिवसीय मेला लगता है
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