श्रावण पूर्णिमा का पर्व इस वर्ष चार विशिष्ट योगों से परिपूर्ण है। पूरे 50 वर्ष बाद सर्वार्थसिद्धि, कल्याणक, महामंगल और प्रीति योग एक साथ बनेंगे। इससे पूर्व वर्ष 1981 में ये चारों योग एक साथ बने थे। इन चारों योगों से श्रावण पूर्णिमा का महात्म्य बढ़ गया है। इस मध्य भाई और बहन के लिए रक्षा बंधन की रस्म विशेष कल्याणकारी होगी।पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त को सायं 07:02 बजे आरंभ होगी। उदया तिथि में मिलने के कारण पूर्णिमा का मान 22 अगस्त को होगा। 22 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सायंकाल 05:33 बजे तक रहेगी।

सावन का यह अंतिम दिन शिव की कृपा पाने का विशिष्टदिन है। यह पावन तिथि भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की साधना-आराधना के लिए भी उत्तम है। आचार्य नरेंद्रदत्त पांडेय के अनुसार इस बार श्रावण पूर्णिमा भद्रा काल से मुक्त है। अत: सूर्योदय से लेकर सायंकाल 05:33 बजे तक कभी भी रक्षा बंधन की रस्म निभाई जा सकती है।

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