हरा और पीला केला तो सभी ने देखा होगा लेकिन लाल केला शायद ही यहां किसी ने देखा हो। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आनेे वाले कुछ ही महीनों में जिले में इसकी खेती नजर आएगी। मुख्य विकास अधिकारी की पहल पर जिला उद्यान विभाग न सिर्फ इसकी तैयारी में लगा है। बल्कि पांच हजार पौधे केरल से मंगवाए भी हैं। पीले केले के मुकाबले लाल केला थोड़ा नरम और मीठा होता है। इस प्रजाति का उत्पादन पूर्वी अफ्रीका, एशिया, दक्षिण अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात में बहुतायात में किया जाता है। भारत में केरल और महाराष्ट्र में इनका उत्पादन अधिक है। अब जिले में इसकी खेती शुरु की जा रही है। ट्रायल के तौर पर सिटी विकास खंड में रामजी दुबे, छानबे में जनार्दन सिंह, राजाराम सिंह, राजगढ़ में सहेंद्र मौर्य, राधेश्याम सिंह व रमेश मौर्य के अलावा सीखड़ विकास खंड में मनोज सिंह, योगेंद्र सिंह व पंकज सिंह आदि किसानों को इसकी खेती के लिए चयनित किया गया है। नए तरह के लाल केले की खेती को लेकर किसान भी उत्साहित नजर आ रहे हैं। लाल केला कई बीमारियों में रामबाण भी है। इसमें भरपूर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है। जो कि किडनी में स्टोन को बनने से रोकता है। इसमें जहां शुगर की मात्रा कम पाई जाती है वहीं हरे और पीले केले के मुकाबले इसमें बीटा कैरोटीन अधिक पाया जाता है। यह धमनियों में खून का थक्का जमने नहीं देता है जिसके कारण कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में मददगार साबित होता है। होमियोपैथिक विशेषज्ञ डा. अविनाश पांडेय ने बताया कि लाल केले में पोटेशियम, आयरन और विटामिन ज्यादा पाई जाती है। इसका छिलका लाल और फल हल्का पीला होता है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर है। रोजाना एक लाल केला खाने से शरीर के लिए आवश्यक फाइबर की आपूर्ति हो जाती है। जबकि इसके खाने से डायबिटीज होने का खतरा भी कम हो जाता है।

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