यमुना पुल के समीप कछार में सैकड़ों बीघे में होने वाली गुलाब की खेती पूरी तरह बर्बाद हो गई। इसका असर यहां लगने वाली फूल मंडी पर भी पड़ा है। सैकड़ों परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। पुल के समीप स्थित भट्टा गांव के लोगों के लिए तो यही गुजारे का जरिया था पुल के समीप सैकड़ों बीघे जमीन पर गुलाब की खेती होती है। कुछ लोग गेंदे का कारोबार भी करते हैं। यहां से गुलाब प्रतापगढ़, सुलतानपुर, फैजाबाद आदि क्षेत्रों में बिकने के लिए जाता है। मुकेश बताते हैं कि गुलाब की खेती करके वे साल भर अपने परिवार का गुजारा करते हैैं। खेती करने के लिए उन्होंने बाजार से कर्ज भी ले रखा है। फसल खराब होने से सबकुछ बर्बाद हो गया। कोई दूसरा माध्यम भी नहीं है जिससे कमाई हो सके। ऐसे में रोटी की समस्या आ खड़ी हुई है। हालात सुधरने में कई महीने लग सकते हैं। ननकी देवी के पति का निधन हो चुका है। परिवार की जिम्मेदारी भी उन पर है। खेती ही उनकी आमदनी का जरिया थी गंगा-यमुना के कछार में परवल की खेती भी खूब होती है। इस बार बाढ़ की चपेट में आकर परवल भी बर्बाद हो गया। अरैल व आसपास के गांव के कछार में बिहार, बांदा व बलिया से आने वाले किसान जमीन किराए पर लेकर परवल की खेती करते हैं। करीब दो सौ बीघे में पैदा होने वाला परवल यहां से दूसरे जिलों में भी भेजा जाता है। किसानों को उम्मीद थी कि बाढ़ सितंबर तक आ सकती है लेकिन इसके पहले ही यमुना-गंगा के उफनाने से खड़ी फसल बर्बाद हो गई। फसल बाढ़ में डूबती देख ज्यादातर किसान अपने घरों को लौट गए। जो यहां हैं भी उनके सामने अब गुजारे का संकट है। बलिया के शिवजी ने बताया की वे वहां बहुत समय परवल की खेती कर रहे हैैं। इस बार उन्होंने चौदह बीघे जमीन किराये पर ली थी। मंडी से पैसे भी कर्ज पर लिए थे। असमय आई बाढ़ के कारण उनको बहुत नुकसान उठाना पड़ा
यमुना के पानी में डूबकर बर्बाद हो गई सैकड़ों बीघे गुलाब की खेती
Ashu sharma
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