उतरौला (बलरामपुर) क्षेत्र में नगर सहित ग्रामीण इलाकों में मोहर्रम बड़े ही सादगी व अकीदत के साथ मनाया गया।
कोविड 19 के दृष्टिगत कहीं भी सार्वजनिक स्थानों व सड़कों पर ताजिया नहीं रखे गए। अकीदत मंदो ने अपने घरों में छोटे ताज़िए रखकर गमों का इजहार किया। और नवीं की‌ रात्रि में  मजलिसों का आयोजन किया गया जहां हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर सभी की पलकें अश्कवार हो गईं।
       दो वर्ष पूर्व क्षेत्र के रानीपुर,गैड़ास बुजुर्ग, महदेइया, चमरूपुर, बनगवा, इमलिया,दिलावलपुर आदि जगहों पर बड़े बड़े लाखों की लागत से निर्मित ताज़िए रखे जाते थे। जहां लोग ताज़िए की जियारत तीन दिन तक करते थे भारी भीड़ जुटने के कारण मेला लगता था। परन्तु कोविड संक्रमण के कारण प्रशासन द्वारा भीड़ भाड़ व सार्वजनिक स्थानों पर ताजिया रखने पर रोक लगा दी है। जिसके चलते लोगों ने कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए छोटे छोटे ताज़िए अपने घरों में रखकर इमाम हुसैन की यादगार में गमों का इजहार करते हुए श्रध्दा सुमन अर्पित की। उतरौला कस्बे में शिया समुदाय के निकाले जा रहे ऐतिहासिक जुलूस भी नहीं निकाला गया।कोविड 19 के कारण दुनिया भर में मशहूर उतरौला का मोहर्रम फीका दिखा।जुमा की नमाज के बाद ताज़िएदारों ने दो दो लोग ताज़िए को ले जाकर कर्बला में सुपुर्द-ए-खाक किए। सुरक्षा के दृष्टि से कस्बे के मुख्य चौराहों व बाजारों में पुलिस तैनात रही। 
इस दौरान उपजिलाधिकारी नागेन्द्र नाथ यादव,सीओ उदयराज सिंह भ्रमण कर जायजा लेते रहे।
असग़र अली
उतरौला

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