रेड राट बीमारी से गन्ना किसान रहे सावधान
बैठक कर रेड राट बीमारी के बारे में गन्ना किसानों को किया गया जागरूक

मुख्य गन्ना प्रबन्धक ने रेड राट बीमारी की पहचान व निदान के बताये तौर तरीके
बहराइच। गन्नो में रेड राट बीमारी की पहचान और इसके प्रभावी नियंत्रण के बारे में पारले मिल के एसोसिएट मुख्य गन्ना प्रबन्धक संजीव राठी ने गन्ना किसानों को जागरूक किया। उन्होंने इसके लक्षण व नियंत्रण के बारे में गन्ना किसानों को जानकारी दी। बरसात के समय यानि माह जुलाई व अगस्त माह में किसानों को गन्ने की रेड राट बीमारी से सावधान रहने की जरूरत है। रेड राट बीमारी से प्रभावित कुछ प्लाट मिल एरिया में मिले है। मिल ऐरिया के ग्राम टेड़वा बंसतापुर, शेखदहीर, भटपुरवा, पदमपिछौरा, यादवपुर, मटहिया आदि का मिल एसोसिएट द्वारा भ्रमण किया गया। उन्होंने बैठक कर गन्ना किसानों को इस बीमारी की पहचान और प्रभावी नियंत्रण के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि गन्ना किसान लगातार अपनी फसल की देखरेख करते रहे। विशेष रूप से 0238 गन्ना प्रजाति में यह रोग है। इसकी पहचान यह है कि ऊपर से तीसरी और चैथी पत्ती किनारे से सूख जाती है और धीरे-धीरे पूरा गन्ना अगोला सहत सूख जाता है। गन्ने को फाड़ने पर गूदे का रंग लाल एवं सफेद दिखायी पड़ता है सूघने पर सिरके जैसी बदबू आती है। अगर यह लक्षण आपके गन्ने के खेत में है तो तुरन्त ऐसे गन्ने को जड़ सहित निकालकर कही दबा दे या जला दे। उसके बाद जहां से रेड राट प्रभावित गन्ने को निकाला गया है वहां पर 10 ग्राम ब्लीचिग पाउडर डालकर मिट्टी से ढक दे। उसके बाद 400 ग्राम हेक्सास्टोप फंफूदीनाशक दवा को 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से फसल के ऊपर तत्काल स्प्रे कर दे। यदि प्रभावित प्लाट में पानी भरा है तो उसकी मेढ़बंदी अवश्य करे। जिससे उसका पानी दूसरे गन्ने के प्लाट में न जा सके। क्योंकि यह रोड आने के बाद पानी और हवा द्वारा बहुत तेजी से फैलता है। इसलिए गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए इस बीमारी का समय पर नियंत्रण बहुत आवश्यक है।

कैसरगंज से रूपनारायण यादव की रिपोर्ट।

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