जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से संबंधित याचिका की सुनवाई शुक्रवार को टल गई। अब इसकी सुनवाई दो सितंबर को होगी। सेवानिवृत जिला जज के स्थान पर नए जिला जज के पदभार ग्रहण करने के बाद इस प्रकरण की सुनवाई होगी। सपा प्रत्याशी चंदा यादव ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उसमें उत्तर प्रदेश सरकार, डीएम और निर्विरोध निर्वाचित भाजपा प्रत्याशी पूनम मौर्य को पक्षकार बनाया गया है।जिला पंचायत के अध्यक्ष के चुनाव में गत 26 जून को सपा प्रत्याशी के रूप में चंदा यादव व भाजपा प्रत्याशी के रूप में पूनम मौर्य ने नामांकन किया था। उसी दिन शाम को जांच में जिला निर्वाचन अधिकारी ने नोटरी अधिवक्ता के लाइसेंस का नवीनीकरण न होने से उसे अवैध ठहराते हुए चंदा यादव का नामांकन पत्र खारिज कर दिया। 29 जून को पूनम मौर्य को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया। इस पर आपत्ति जताते हुए चंदा यादव की तरफ से अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने जिला जज की कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। उसमें कहा गया है कि पर्चा खारिज करने का यह ठोस आधार नहीं है। यूपी जिला पंचायत अधिनियम की नियमावली में पर्चा खारिज करने का आधार उल्लिखित नहीं है। नोटरी अधिवक्ता अपने लाइसेंस की समाप्ति के पहले ही मई में नवीनीकरण का शुल्क शासन को भेज चुका है। अधिवक्ता ने जिला जज और अन्य अदालती प्रक्रिया को पूरा भी किया है। इस आधार पर अभी अधिवक्ता का लाइसेंस खारिज नहीं हुआ है। वादी की ओर से कहा गया है कि नियमावली के अनुसार भी मात्र तकनीकी आधार पर पर्चा खारिज नहीं किया जा सकता है। जिला निर्वाचन अधिकारी/डीएम ने जो आधार लिया है, वह तकनीकी है। इससे यह दर्शाता है कि शासन-प्रशासन की मंशा सही नहीं है। याची का पर्चा खारिज करना कानूनी रूप से अवैध है।
याची ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्विरोध निर्वाचन को निरस्त करते हुए फिर से चुनाव कराया जाय।
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