धारा-370 हटाए जाने की दूसरी वर्षगांठ पर केंद्रशासित लद्दाख को वाराणसी की तरफ से शिक्षा और ज्ञान की भेंट दी जा रही है। लद्दाख के केंद्रीय बौद्ध विद्या संस्थान में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का अध्ययन केंद्र खुलेगा, जहां पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा समेत अन्य कक्षाएं चलेंगी। आने वाले वर्षों में हिमालय की गोद में बौद्ध धर्म के साथ ही संस्कृत वेद ऋचाएं भी गूंजेंगी।संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की कार्यसमिति ने यह फैसला लेने के साथ ही इसपर क्रियान्वयन भी शुरू कर दिया है। लद्दाख के केंद्रीय बौद्ध विद्या संस्थान की तरफ से इस संदर्भ में अरसे से प्रयास किए जा रहे थे। जिसपर मुहर लग गई। शुरुआत में यहां पूर्व मध्यमा (कक्षा 10) और उत्तर मध्यमा (कक्षा 12) कोर्स चलाए जाएंगे। संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि आने वाले समय में छात्रों की संख्या के आधार पर वहां सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि वर्षों पहले लद्दाख महाविद्यालय (अब विश्वविद्यालय) में संस्कृत विश्वविद्यालय की संबद्धता से शास्त्री व अन्य कोर्स भी चलाए जाते थे, मगर इसके विश्वविद्यालय होने के बाद संबद्धता खत्म हो गई। कुलपति ने कहा कि सही मायनों में इस व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जा रहा है।

बता दें कि संस्कृत विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में भी शास्त्री से निचली कक्षाओं प्रथमा, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा आदि की पढ़ाई कराता था। मगर वर्ष 2001 में प्रदेश सरकार ने संस्कृत माध्यमिक शिक्षा परिषद का गठन कर यह जिम्मेदारी परिषद को सौंप दी। इसके बाद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रदेश के बाहर के केंद्रों में यह कक्षाएं चलाता है।

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