रामनगर के लालबहादुर शास्त्री (एलबीएस) अस्पताल में तैयारी नाकाफी हैं। यहां बच्चों के लिए एक वार्ड है, मगर कोई संकेतक नहीं होने से आप अस्पताल में इसे ढूंढते रह जाएंगे। अस्पताल के 17 डॉक्टर हैं, लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ ही नहीं है। इसके साथ ही 100 बेड वाले अस्पताल में सिर्फ पांच पर ही 24 घंटे ऑक्सीजन की सुविधा है।

अस्पताल में रोजाना 1000 से 1500 मरीज आते हैं। कोरोना काल में अस्पताल को लेबल वन श्रेणी का अस्पताल बनाया गया था। यहां कोरोना मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की सुविधा दी जाती थी। अभी फिलहाल अस्पताल में कोई कोरोना मरीज भर्ती नहीं है। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार मौर्य ने बताया कि अस्पताल में बच्चों के लिए एक वार्ड आरक्षित है। जबकि हकीकत में जब वार्ड की तलाश की गई तो अस्पताल की दीवार पर एक जगह बने साइन मार्क पर बच्चों का वार्ड लिखा है, लेकिन किसी रूम पर बच्चों का वार्ड नहीं लिखा गया था। ऐसे में कोई मरीज अगर बच्चों का वार्ड अस्पताल में ढूंढेगा तो उसे साइन मार्क तो मिलेगा, लेकिन बच्चे किस रूम में भर्ती होंगे उसका पता नहीं लगेगा। डॉ. अरुण ने बताया कि अस्पताल में पहले बच्चों के दो डॉक्टर थे। जब जरूरत होती है जिला अस्पताल से बुलाया जाता है।


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