कोरोना काल में आपदा को अवसर के रूप में काम शुरू करते हुए जीवन में किया बदलाव। पटरी बल्ली (शटरिंग की दुकान) किराए पर देने का काम जल्द शुरू करेंगे। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। कुकरहटा निवासी उर्मिला ने बताया कि पति कोरांव मंडी में सब्जी बेचकर कर घर की देखभाल करती रहीं। इतनी कमाई से सिर्फ गुजारा हो सकता था, बच्चों की जिंदगी में बदलाव नहीं। दो बेटी और एक बेटे की अच्छी परवरिश के लिए उन्होंने कुछ और काम करने के बारे में सोचा ताकि आय भी बढ़े। उन्होंने सीआरपीईपी (कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन्स फार इंटरप्राइस प्रमोशन) सविता सिंह से संपर्क किया एसवीईपी के तहत 40 हजार रुपये लोन मिला और इससे उर्मिला ने सिलाई मशीन समेत अन्य सामान खरीदे। अपने हुनर के बल पर सिलाई का काम शुरू किया। और ग्रामीण क्षेत्र में रहते हुए महिलाओं और बच्चों के कपड़े सिलकर मुनाफा कमा रही हैं। 200-300 रुपये प्रतिदिन आय होती है। उन्होंने बताया कि कोरोना का असर कम होने के बाद काम में तेजी आएगी भगेसर गांव की रचना बताती हैं कि एसवीईपी का लाभ मिला और ऋण मिलने पर काम शुरू किया। अब मनरेगा के तहत शाइन बोर्ड बनाने का काम करती हैं। वर्ष 2006 में अर्थशास्त्र विषय से परास्नातक करने के बाद वह गृहस्थी संभालने लगीं। पति दूसरे प्रदेश में निजी कंपनी में काम करते थे। लेकिन, खर्च पूरा नहीं हो पाता था। दो बेटी और एक बेटे की बेहतर परवरिश के लिए उन्होंने खुद काम शुरू करने का संकल्प लिया। इस बीच उनका संपर्क एंटरप्रेन्योरशिप डेवलेपमेंट इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की मेंटोर प्रिया वर्मा से हुआ। उन्होंने न सिर्फ योजना के बारे में बताया बल्कि 50 हजार रुपये लोन भी स्वीकृत कराया। पिछले साल लाकडाउन के दौरान उन्होंने काम किया। अब पति राम प्रवेश भी घर पर रहकर इस काम में हाथ बंटाते हैं। इसके अलावा चार-पांच श्रमिकों को भी रोजगार देती हैं
स्टार्ट-अप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (एसवीईपी) के तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
Ashu sharma
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