उतरौला(बलराम पुर) 8 मुहर्रम रेहरा माफ़ी के इमामबारगाह मरहूम हसन जाफ़र में एक मजलिसे अज़ा का आयोजन किया गया!
पिछले बावन वर्षों से होती आ रही इस क़दीमी मजलिस को मौलाना ज़ायर अब्बास साहब ने संबोधित करते हुए बताया कि हमारे रसुल और इमामों ने दीने इस्लाम को तलवार नहीं किरदार से फ़ैलाया,इस्लाम मुहब्बत भाईचारे अम्न और शान्ति का मज़हब है।
कर्बला की जंग सत्य और असत्य हिंसा और अहिंसा के बीच लड़ी गई।
जहां यज़ीद अपनी ताक़त और ज़ुल्म के द्वारा हुकूमत करना चाहता था,वहीं हुसैन इब्ने अली मुहब्बत और इंसानियत द्वारा अपने नाना के दीन की हिफाज़त करना चाहते थे,और उन्हने कर्बला में अपने बहत्तर साथियों सहित शहादत देकर दीने इस्लाम को ज़िंदा रखा!
उन्होनें दुनिया भर के आतंक कि आलोचना करते हुए कहा कि कर्बला के मैदान में इमामे हुसैन ने उस समय के सबसे बड़े आतंकवादी यज़ीद को बेनक़ाब करके ये पैग़ाम दिया कि ज़ालिम चाहे जितना बड़ा क्यों ना हो हमें ज़ुल्म के ख़िलाफ़ हमेशा अपनी आवाज़ बलन्द करते रहना चाहिए!
अंत में उन्होनें अलमदारे हुसैनी हज़रत अब्बास की शहादत का प्रमुखता से ज़िक्र कि तो हर ओर से हाय अब्बास हाय हुसैन की आवाज़ आने लगी!
मजलिस के उपरांत अंजुमने वफ़ा ए अब्बास के सदस्यों ने नौहाख्वानी और सिनाज़नी से कर्बला के शहीदों को पुरसा पेश किया!
इस अवसर पर डॉक्टर अली अज़हर इरफ़ान हैदर मुनीर हसन अली जाफ़र तौसीफ़ हसन अब्बास जाफ़र तौक़ीर हसन गुलाम हुसैन मुहम्मद शाहिद मोजिज़ अब्बास अली शहंशाह मुहम्मद आलिम सिराज अब्बास आदि शामिल रहे!
असगरली
उतरौला
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