उतरौला (बलरामपुर) स्थानीय विकास खंड क्षेत्र के 65 ग्राम पंचायतों के ज्यादातर तालाब बेमतलब साबित हो रहे हैं।इन पर प्रति वर्ष लाखो रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन रखरखाव के अभाव में यह तालाब गर्मी शुरू होते ही सूख जाते हैं।जल संरक्षण न होने से इनका उपयोग तक नहीं होता,खुदाई के नाम पर भी खानापूर्ति की जाती है। तालाबों के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है इनके माध्यम से जलाशयों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन हालात यह है कि आज भी विकास खंड क्षेत्र के 75फीसदी जलाशय निष्प्रयोज्य बने हुए हैं। अधिकांश तालाबों की खुदाई तक नहीं हुई है क‌ई तालाबों में आज भी दरारें पड़ी है और घास फूस से ढके हुए हैं।पानी की समस्या को देखते हुए सरकार की ओर से हर ग्राम पंचायतों में आदर्श जलाशय योजना चलाई गई थी।वर्ष 2017-18 से अब तक सैकड़ों तालाब की सुंदरीकरण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं।प्रत्येक तालाब के हिसाब से खुदाई के लिए धन आवंटित किया गया है एक एक तालाब दो से ढाई लाख रूपए तो किसी ग्राम पंचायत में पांच लाख रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन फिर भी अधिकतर काम कागजों में निपटाया गया है अधिकारियों के जांच और दौरे भी किए गए लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है। जिम्मेदारों के उदासीनता के चलते आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण की स्थिति दयनीय बनी हुई है।


उतरौला से असगर अली की रिपोर्ट।

1 टिप्पणियाँ

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  1. इसके समस्या के पूर्ण जिम्मेदार सिर्फ‌ हलका लेखपाल‌ और कानूनगो होते हैं। जो कि भ्रष्टाचार को बढावा देने का अहम रोल निभाते हैं। जबतक इनके खिलाफ कोई ठॊस कदम प्रशासन के जरिये नहीं उठाया जायेगा तबतक इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता
    कुछ लेखपाल तो ऐसे भी है। कि वो कुछ दिन के लिये हटाये तो जाते हैं। पर पिछले पन्द्रह वर्षों से घूम घूम‌ कर उतरौला ग्रामीण मे ही कार्यरत हैं। और उनके अगुवाई मे भ्रष्टाचार अपने चरम पर बना रहता है। और रिश्वत खोरी खूब फलती फूलती है मगर हाय रे अफसोस कि इन लेखपाल महोदयों की जांच और सुध लेने वाला जनपद बलरामपुर मे कोई आला अधिकारी नहीं

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