उतरौला (बलरामपुर) :
प्रदेश सरकार ने 16 अगस्त से इंटर कॉलेजों को खोलने व पठन; पाठन शुरू कराने के आदेश दिए हैं। लेकिन जिले के एकमात्र राजकीय कन्या इंटर कॉलेज में अध्यापिकाओं की कमी व जर्जर भवन छात्राओं के लिए परेशानी बन सकते हैं। 134 वर्ष पुराने तहसील भवन में चल रहे इस स्कूल में जहां पर्याप्त अध्यापिकाओं व प्रवक्ताओं की कमी है वहीं खपरैल की छतों वाले शिक्षण कक्ष छात्राओं के लिए खतरे का सबब बने हुए हैं। वर्ष 1998 में स्थापित इस विद्यालय को नये सिरे से बनाए जाने की कवायद में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता आड़े आ रही है। कक्षा छह से इंटरमीडिएट तक संचालित इस कॉलेज में अभी 267 छात्राएं पंजीकृत हैं। कक्षा छह में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है। सात कक्षाओं की छात्राओं को पढ़ाने के लिए महज चार सहायक अध्यापिकाएं ही उपलब्ध हैं। पुरानी बिल्डिंग होने के कारण अक्सर विषैले जंतु कक्षाओं में भ्रमण करते हैं जिससे छात्राओं में दहशत फैल जाती है। बारिश के दौरान छत की लकड़ियां व खपरैल के टुकड़े टूटकर गिरते रहते हैं। स्कूल में खेल का मैदान है। साइंंस व कंप्यूटर प्रशिक्षक भी नहीं हैं।

प्रभारी प्रधानाचार्या प्रियंका सिंह का कहना है कि स्कूल भवन को राजस्व विभाग से शिक्षा विभाग के नाम ट्रांसफर न होने के कारण निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है। भवन निर्माण के लिए आए पौने दो करोड़ रुपये पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग को वापस भेज दिए गए। सीमित शिक्षकों के सहारे किसी तरह आवश्यक विषयों की शिक्षा दी जा रही है।


हिंदी संवाद न्यूज़ बलरामपुर।

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