उतरौला (बलरामपुर)देश की सबसे बड़ी योजना मनरेगा की हालत क्षेत्र में काफी दयनीय हो गई है।हर हाथ को  सालाना 100दिन का काम देने का दम भरने वाली इस योजना से काम नहीं मिलने से गांव की जनता पलायन को मजबूर हैं।
     मनरेगा अपने दावों पर कितना खरा उतर रही है इसकी बानगी चालू वित्तीय वर्ष के चार महीनों में दिए गए काम से होती है।इस दरमियान सिर्फ 25फीसदी जाब कार्ड धारकों को मनरेगा से रोजगार मिल सका है। जाहिर सी बात है कि जाब कार्ड धारकों की एक बड़ी संख्या इस योजना के लाभ से दूर खड़ी नजर आ रही है। वर्ष 2006मे केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना लागू की थी।इस योजना का मकसद गांव के बाशिंदों को घर द्वार छोड़कर रोजी रोटी के लिए महानगरों की ओर जाने से रोकना था।इस पर शुरुआत में कामयाबी मिली लेकिन बाद में सरकारी सिस्टम का झटका लगता गया। 
नतीजा पलायन की तस्वीर रुकने के बजाय और तेजी पकड़ती जा रही है।इसका नजीर कोरोना संक्रमण के दौर में भी देखने को मिल रही है। संक्रमण का कहर थमने के साथ महानगरों से भागकर गांव की ओर आये गांव के लोग दोबारा मुंबई,सूरत, दिल्ली,पूना, लुधियाना, पंजाब की ओर पलायन कर रहे हैं।
इस संबंध में विकास खंड उतरौला एपीओ गुलाम रसूल ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में कुल जाब कार्ड धारक 13000 के सापेक्ष लगभग 7000को इस योजना के तहत रोजगार मिला है।

असग़र अली
उत्तरौला

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