- फैमिली प्लानिंग सिर्फ महिलाओं की नहीं पुरूषों की भी है जिम्मेदारी
बलरामपुर, 13 जुलाई। वैसे तो हर काम में पुरुष आगे रहना पसंद करते है, लेकिन बात जब फैमिली प्लानिंग की आती हो तो यह जिम्मेदारी पत्नी के कंधों पर आ जाती है। जबकि पुरूष नसबन्दी, पुरूषों के लिए गर्भनिरोध का सबसे सरल और सुरक्षित उपाय है। इसमें शुक्रवाहिका नामक दो ट्यूबों को काट दिया जाता है जिससे शुक्राणु वीर्य तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। इसके अलावा पुरूष नसबन्दी करवाने में समय भी बहुत कम लगता है और यह गर्भनिरोधक के लिए महिला नसबन्दी जितना ही प्रभावशाली होता है।
मंगलवार को परिवार नियोजन के नोडल अफसर व एसीएमओ डा. बी.पी. सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जिले मे ंविश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा की शुरुआत हो चुकी है, जो 31 जुलाई तक चलेगी। खुशहाली का आधार, पुरूष जिम्मेदार के साथ इस बार की थीम है आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी। ऐसे में जरूरी है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरूष नसबंदी के प्रति जागरूक हों लेकिन भ्रांतियों के चलते पुरुष नसबंदी के मामले में काफी पीछे रहे हैं। हमारे देश में आज भी ज्यादात्तर पुरुष गर्भनिरोध के नाम पर सिर्फ कंडोम का इस्तेमाल करते आ रहे हैं।
-पुरूषों में हैं भ्रांतियां
कई लोग मानते हैं कि नसबंदी के कारण पुरुषों के दिल पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। पुरुषों को लगता है नसबंदी के दौरान उन्हें चीरा लगाया जाएगा, टांके और चीरे की नाम से वो डर जाते है। लेकिन वर्ष 1998-99 के दौरान एनएसवी (नो स्कैल्पल वसेक्टमी) के रूप में नसबंदी की नयी पद्धति का शुरु हुई थी। जिसमें बिना चीरा और टांके की नसबंदी का चलन शुरु हो गया है तो पुरुषों को इस चीज से भी नहीं घबराने की जरुरत है।
-कई पुरुष दर्द की अफवाह से नहीं कराते है नसबंदी
नसबंदी के दौरान पुरुषों को दर्द नहीं होता है। क्योंकि नसबंदी की पुरानी पद्धति में बहुत दर्द होता था। लेकिन एनएसवी सरीखी नयी पद्धति के चलते अब पुरुष झटपट नसबंदी कराके अपेक्षाकृत जल्दी अपने काम पर लौट सकते हैं और अब नई तकनीक में एनेस्थीसिया देते समय इंजेक्शन लगाने के दौरान, नाममात्र का ही दर्द होता है।
-नहीं होता मर्दाना शक्ति पर असर
ज्यादात्तर पुरुषों को लगता है कि नसबंदी करवाने से उनकी सेक्सलाइफ पर असर पड़ता है, नसबंदी के बाद सेक्स प्लेजर नहीं मिलता है। नसबंदी के बाद कुछ महीनों तक टेस्टिकल में आपको हल्का दर्द हो सकता है। लेकिन सेक्स में रुचि, इरेक्शन क्षमता, या स्खलन पर कोई प्रभाव नहीं होता। विशेषज्ञों की माने तो नसबंदी कराने से किसी प्रकार की नपुसंकता या नामर्दी नहीं आती है बल्कि इससे शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है। अनचाहें गर्भ की चिंता दूर हो जाती है तो यौन सुख पहले की अपेक्षा बढ़ जाता है। नसबंदी से कमजोरी भी नहीं आती है।
डेली रुटीन के कामों पर लौटने के लिए पुरुषों को नसबंदी के बाद एक दो दिन का आराम बहुत जरुरी होता है। ज्यादातर पुरुष 2-3 दिन बाद काम पर जा सकते हैं। सामान्य दैनिक कार्य जैसे की भागना, वर्क आउट, भारी समान उठाना आदि एक सप्ताह रुक कर शुरु किए जा सकते है।
आनंद मिश्र
बलरामपुर
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