*झूठ तथ्य प्रस्तुत कर सस्ती सहानुभूति हासिल करने का कुत्सित प्रयास*
जगम्मनपुर , जालौन । कलमकारों को झूठ तथ्य प्रस्तुत कर सस्ती सहानुभूति हासिल करने का मामला प्रकाश में आया है ।
माधौगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम जगम्मनपुर में कबाड़ बीनने वाले बच्चों की एक बड़ी जमात है। अनेक बच्चों के माता-पिता प्रति सुबह अपनी अपनी संतानों को कबाड़ बीनने के लिए बाध्य करते हैं । जिस उम्र के बच्चे विद्यालयों में जाकर शिक्षा प्राप्त करें एवं खाली समय में खेल कूद कर अपना स्वास्थ्य सुदृढ़ करें उस उम्र के बच्चे जब गंदे मैले कुचैले कपड़े पहन कर कंधे पर प्लास्टिक की बोरी टांगे गांव की गली में कबाड़ बीनते नजर आए तो प्रतीत होता है कि यह बहुत दुखी है जबकि बहुदा ऐसा नहीं होता है , यदि कोई इन बच्चों से कबाड़ बीनने का कारण पूछे तो अपने माता-पिता के द्वारा सिखाए गए झूठे वाक्य बोलकर सस्ती सहानुभूति बटोरने का प्रयास करते हैं , ऐसा ही एक वाकया प्रकाश में आया है । ग्राम जगम्मनपुर में एक 9 वर्षीय बालक को दयनीय हालत में कबाड़ बीनते देखा तो एक कलमकार को दया आई और उससे कबाड़ बीनने का कारण जानना चाहा तो अपने माता-पिता द्वारा सिखाई गई झूठ बोलने की कला में पारंगत बच्चे ने अपना नाम रवि उम्र 9 वर्ष तो सही बताया लेकिन माता-पिता का नाम गलत बता दिया। बालक रवि ने बताया कि उसके पिता राजकुमार की मृत्यु हो गई , अपना व अपने दो छोटे भाइयों के भरण पोषण का दायित्व अब मेरा है । बालक ने अपनी झूठी करुण कथा का ऐसा प्रस्तुतीकरण किया कि सदा तथ्यपरक खबर लिखने वाले पत्रकार का दिमाग भी चकरघिन्नी हो गया और बालक रवि द्वारा बताई गई बातों को सच मानकर उसकी करूण कथा प्रकाशित कर दी , जब प्रकाशित खबर के तथ्यों को परखा गया तो पूरा का पूरा मामला फर्जी निकला । उक्त कहानी का दयनीय पात्र रवि असल में वीरेंद्र पुत्र हरदयाल नट निवासी ग्राम जगम्मनपुर का पुत्र है । वीरेंद्र मजदूरी करता है और भैंसा रखकर गांव व क्षेत्र की भैंसों का गर्भाधान कराता है इस व्यापार में उसे प्रतिदिन ₹1000 तक की आय हो जाती है । वीरेंद्र की पत्नी श्रीमती सुमन देवी का पात्र गृहस्थी राशन कार्ड नंबर 2165404770 है जिससे उसे प्रतिमाह 50 किलोग्राम निशुल्क खाद्यान्न प्राप्त हो रहा है किंतु आवास की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। सोशल मीडिया पर उक्त परिवार की करुण कथा पढ़कर जिला प्रशासन तथा उप जिलाधिकारी माधौगढ़ तहसीलदार माधौगढ़ ने जांच करवाई तो पाया गया कि उक्त परिवार को रहने वाला आवास पर्याप्त नहीं है , एक अर्ध पक्के कमरे के सामने छप्पर व एक छोटी दुकान नुमा कमरा बना है, किंतु कबाड़ बीनकर परिवार का भरण पोषण करने एवं माता पिता के निधन होने की बात असत्य पाई गई। छोटे बच्चों के द्वारा कवाड बिनवाने को लेकर उसके अभिभावक अवश्य यह कहते हैं की बच्चों को पढ़ाने लिखाने से कुछ नहीं होगा हम लोग पहले से ही यह सब करते रहे हैं और भविष्य में भी यही करते रहेंगे।
जालौन से अनिल कुमार की रिपोर्ट।
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