मानवीय संवेदना के सच्चे पोषक एएसपी अजय साहनी 

          गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरो 
अयोध्या।एसएसपी अजय साहनी जिनकी हम सिंघम स्टाइल से परिचित हैं ।अजय साहनी ने एसएसपी मेरठ ,एसएसपी आजमगढ़और एसएसपी अलीगढ़ रहते हुए अपराध और अपराधियों का पूर्ण रुप से नियंत्रित किया यही कारण है कि उन्हें पुलिस महकमे में सुपर कॉप का भी एक दर्जा दिया जाता है। उनकी साहस और इच्छा शक्ति  के कई उदाहरण देखने को और सुनने को मिलते हैं। पुलिस रिकॉर्ड में वांछित कई अपराधियों का जिस दिलेरी से  उन्होंने इनकॉन्टर किया वह काबिले तारीफ है ,पर इससे इतर उनके अंदर एक मानवीय संवेदना भी रहती है । वर्तमान समय में अजय साहनी जौनपुर जनपद में कप्तान के रूप में पोस्टेड हैं।   वाकया शाम 6:00 से 8:00 के बीच का है। उस समय  कप्तान जौनपुर आम लोगों से मिलजुल रहे होते हैं। । एक ऐसा नजारा देखने को मिलता है जो कि निश्चित तौर पर मन को आत्मिक सुकून देता है ।इंस्पेक्टर लेवल के पुलिस विभाग के एक कर्मचारी जो कि एक रेल हादसे में अपने दोनों पैरों को गवा चुके हैं ।पहले उनकी पोस्टिंग बनारस हुआ करती थी। बाद में विभागीय तबादले के चलते उन्हें जौनपुर आना पड़ा परंतु अपनी शारीरिक अस्वस्थता के चलते उन्हें दैनिक क्रिया कर्म करने तक में भी दिक्कत होती है और उनका परिवार बनारस में  रहता है। ऐसे में  इंस्पेक्टर ने जौनपुर कप्तान अजय  साहनी से मिलकर अपनी व्यथा बताई। जिसे सुनने के बाद तुरंत ही कप्तान ने ना सिर्फ मानसिक रूप से उनका उत्साहवर्धन किया वरन उनकी पूरी सहायता भी की ।  इंस्पेक्टर   एसएसपी साहब के इस मानवीय परक संवेदना से अभिभूत दिखे। उन्होंने कहा कि मेरी पूरी नौकरी में मुझे ऐसा कोई दूसरा कप्तान नहीं मिला।  दरअसल बात इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है कि पुलिस की नौकरी 24 घंटे की होती है अगर ऐसे में शारीरिक अशक्तता  भी हो, तब ड्यूटी करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अजय साहनी ने एक बार फिर से अपने दबंग छवि से इतर मानवीय पहलू को प्रदर्शित करके एक नया संदेश पुलिस महकमे को दिया है ।हालांकि इससे पहले भी अजय साहनी  आजमगढ़, सिद्धार्थनगर, बिजनौर ,कानपुर,अलीगढ़ बाराबंकीऔर मेरठ के एसएसपी  रहते हुए पुलिस विभाग के कर्मचारियों की मदद के लिए  कई नजीर पेश की है। उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग का जब कोई कर्मचारी शहीद होता है, तो  अजय साहनी उसकी मदद हेतु सबसे पहले अपने विभाग सहित आगे आते हैं। और उनके  इस सार्थक कदम की प्रशंसा भी होती रहती है। आखिर जब मुखिया अपनी टीम की सुनता है तो टीम दूने उत्साह के साथ में अपने कप्तान के नेतृत्व में कार्य हेतु तत्पर रहती है।

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