विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए यदुवंशियों ने सावन के पहले सोमवार को 89 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। भारत में वर्ष 1932 में घोर अकाल के दौरान यहां के यदुवंशियों ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया था। जलाभिषेक होते ही बारिश शुरू हुई और लगातार तीन दिनों तक होती रही। तभी से हर साल यदुवंशी समाज सावन के पहले सोमवार को बाबा का जलाभिषेक करता है।
यहां की शीतला गली निवासी भोला सरदार और चुन्नी सरदार ने 50 यदुवंशियों के साथ बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक कर बारिश के लिए प्रार्थना की थी। उसके बाद हुई बारिश ने बाबा के प्रति गजब की आस्था यदुवंशियों के अंदर भर दी। इसके बाद से प्रतिवर्ष यदुवंशी जलाभिषेक की परंपरा का निर्वहन करते हैं। हर साल बड़ी संख्या में यदुवंशी जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। इनके लिए विशेष व्यवस्था भी की जाती है। नंगे पैर कंधे पर गंगा जल का मटका लिए यदुवंशियों का रेला लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है।
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