- बाल विकास परियोजना कार्यालय बलरामपुर देहात पर आयोजित हुआ एक दिवसीय प्रशिक्षण
-मुख्य सेविकाओं व आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने सीखी बच्चों में संवेदनशील परवरिश की बारीकियाॅं
बलरामपुर, 15 जुलाई। आरंभिक बाल अवस्था में बच्चों के सीखने का उपयुक्त माध्यम खेल होता है। खेल बच्चों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। खेलना इस उम्र के बच्चों की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। खेल से उन्हें आनंद मिलता है। इसीलिए एक आंगनवाड़ी केंद्र में सारी गतिविधियां खेल के माध्यम से होनी चाहिए। अच्छी तरह से परिकल्प विधियों से बच्चों में अनेक सारे क्षेत्रों का विकास होता है और वह अपने आस पास की दुनिया को खूब अच्छी तरह जान लेता है।
गुरूवार को यह बातें बाल विकास परियोजना कार्यालय बलरामपुर देहात पर युनिसेफ व विक्रमशिला के सहयोग से आयोजित मुख्यसेविकाओं व आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के एक दिवसीय ‘‘संवेदनशील परवरिश’’ प्रशिक्षण में प्रशिक्षक विजय मिश्रा ने बताई। उन्होने प्रशिक्षण में जानकारी देते हुए बताया कि बच्चे कभी एकजुट होकर समूह में खेलना पसंद करते हैं तो कभी एकाकी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ती को दोनों तरह के खेल की व्यवस्था रखनी चाहिए। खेल दो प्रकार के होते हैं मुक्त खेल और बड़ों द्वारा निर्देशित खेल। बच्चों को इन दोनों तरह के खेलों की आवश्यकता होती है। प्रशिक्षक पंकज शुक्ला ने बताया कि एक से तीन साल के बच्चे को हम क ख ग घ लिखना नहीं सिखाएंगे क्योंकि उसका शारीरिक एवं बौद्धिक विकास अभी इस के लिए उपयुक्त नहीं है। संख्या सिखाने से पहले उनमें कम या ज्यादा, छोटा या बड़ा इन सब धारणाओं का विकास करेंगे। यह बात हमें हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि 03 से 06 साल का बच्चा औपचारिक शिक्षा के लिए तैयार नहीं होता है। सीडीपीओ देहात राकेश शर्मा ने ईसीसीई की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में शारीरिक, बौद्धिक, सामाजिक, भावनात्मक और रचनात्मक विकास करना है जो कि 06 साल तक के बच्चों में ही संभव है। बच्चों में यदि सीखने का पर्याप्त माहौल मिलता है तो 03 से 06 वर्ष तक के उम्र के बच्चों का 80 प्रतिशत मानसिक विकास हो जाता है। यदि बच्चे को सीखने और जानने का अवसर नहीं मिलता तो वे आगे चलकर पढ़ाई में रूचि नहीं लेते है और उनके सीखने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।
प्रशिक्षण के दौरान ईसीसीई के विभिन्न पहलुओं जैसे संवेदनशील परवरिश, लैंगिक समानता, खेलों का महत्व, उत्तर प्रदेश गृह आधारित शिक्षण, 32 सप्ताह का गतिविधि कैलेंडर आदि पर भी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के दौरान मुख्य सेविका शीला, सावित्री, भानुमति यादव, सुषमा श्रीवास्तव, आंगनवाड़ी कार्यकत्री लक्ष्मी शर्मा, रीता श्रीवास्तव, रेखा देवी, राजकुमारी, सुनीता सहित तमाम फ्रंट लाइन वर्कर मौजूद रहीं।
आनंद मिश्र
बलरामपुर
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