गुप्त नवरात्र: पहले दिन उमड़े रहे आस्थावान
विधि- विधान से किया मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन
संवाद न्यूज एजेंसी
विंध्याचल। आषाढ़ मास में रविवार से गुप्त नवरात्र का शुभारंभ होते ही भक्तों की भीड़ मां के दर्शन को उमड़ी, इस दौरान श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से मां विंध्यवासिनी की पूजा किया, साथ ही मत्था टेककर सुख और समृद्धि की कामना की। मंगला आरती के पश्चात भोर से शुरू हुआ दर्शन और पूजन का सिलसिला देर रात तक अनवरत जारी रहा। इस दौरान घंटा, घड़ियाल, शंखनाद के साथ माता के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था।
देवी उपासकों के लिए गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व बताया गया है। साधक लोग इन नौ दिनों में मां विंध्यवासिनी देवी का पूजन, यज्ञ-अनुष्ठान नवरात्र की तरह ही करते हैं। इस बार आषाढ़ मास का गुप्त नवरात्र 11 जुलाई से 20 जुलाई तक प्रतिपदा से नवमी तक है। विंध्याचल के पावन दरबार में वर्तमान समय में कई यज्ञ और अनुष्ठान चल रहे हैं तथा मां के दर्शन के लिए मंदिर में दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इसी प्रकार का माघ मास में प्रतिपदा से नवमी पर्यंत नौ दिवसीय अनुष्ठान होता है तथा चैत्र एवं आश्विन मास में प्रत्यक्ष नवरात्र मनाया जाता है। पौष मास के शुक्ल पक्ष में शाकंभरी नवरात्र तांत्रिक लोग मनाते हैं।
विधि- विधान से किया मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन
संवाद न्यूज एजेंसी
विंध्याचल। आषाढ़ मास में रविवार से गुप्त नवरात्र का शुभारंभ होते ही भक्तों की भीड़ मां के दर्शन को उमड़ी, इस दौरान श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से मां विंध्यवासिनी की पूजा किया, साथ ही मत्था टेककर सुख और समृद्धि की कामना की। मंगला आरती के पश्चात भोर से शुरू हुआ दर्शन और पूजन का सिलसिला देर रात तक अनवरत जारी रहा। इस दौरान घंटा, घड़ियाल, शंखनाद के साथ माता के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था।
देवी उपासकों के लिए गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व बताया गया है। साधक लोग इन नौ दिनों में मां विंध्यवासिनी देवी का पूजन, यज्ञ-अनुष्ठान नवरात्र की तरह ही करते हैं। इस बार आषाढ़ मास का गुप्त नवरात्र 11 जुलाई से 20 जुलाई तक प्रतिपदा से नवमी तक है। विंध्याचल के पावन दरबार में वर्तमान समय में कई यज्ञ और अनुष्ठान चल रहे हैं तथा मां के दर्शन के लिए मंदिर में दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इसी प्रकार का माघ मास में प्रतिपदा से नवमी पर्यंत नौ दिवसीय अनुष्ठान होता है तथा चैत्र एवं आश्विन मास में प्रत्यक्ष नवरात्र मनाया जाता है। पौष मास के शुक्ल पक्ष में शाकंभरी नवरात्र तांत्रिक लोग मनाते हैं।
इनसेट
देवता, गंधर्व, यक्ष एवं किन्नर सभी लोग करते हैं देवी की आराधना:
विंध्याचल। आध्यात्मिक धर्मगुरु त्रियोगी नारायण मिश्र ( मिठ्ठू मिश्र) ने बताया गुप्त नवरात्र में साधक गण विशेषरुप से देवी की आराधना करते हैं। देवता, गंधर्व, यक्ष एवं किन्नर सभी लोग देवी की आराधना करते हैं। उनके साथ-साथ अब मानव समाज में भी इसका प्रचलन जोरों से बढ़ रहा है। नवरात्र की तरह ही सब विधि-विधान गुप्त नवरात्र में भी किया जाता है तथा भक्तों को इसका फल भी उसी प्रकार से प्राप्त होता है।
देवता, गंधर्व, यक्ष एवं किन्नर सभी लोग करते हैं देवी की आराधना:
विंध्याचल। आध्यात्मिक धर्मगुरु त्रियोगी नारायण मिश्र ( मिठ्ठू मिश्र) ने बताया गुप्त नवरात्र में साधक गण विशेषरुप से देवी की आराधना करते हैं। देवता, गंधर्व, यक्ष एवं किन्नर सभी लोग देवी की आराधना करते हैं। उनके साथ-साथ अब मानव समाज में भी इसका प्रचलन जोरों से बढ़ रहा है। नवरात्र की तरह ही सब विधि-विधान गुप्त नवरात्र में भी किया जाता है तथा भक्तों को इसका फल भी उसी प्रकार से प्राप्त होता है।
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