प्रयागराज के कुछ प्रसिद्ध चौराहों के नामों की। प्रयागराज शहर के कई इलाकों की पहचान उनके अजब-गजब नामों से है। बाहर से आने वाले लोगों को रेलवे या बस स्‍टेशन पर उतरते ही इन प्रसिद्ध चौराहों के नाम पूछने पर कोई भी आटो या रिक्‍शावाला आराम से गंतव्‍य तक पहुंचा देता है। यानी बाहर से आने वालों को पता पूछने के लिए परेशान नहीं होना पड़ता और न ही उन्‍हें भटकना पड़ता है यूं तो प्रयागराज साहित्यिक, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्‍वपूर्ण है। यहां देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक आनंद भवन और स्‍वराज भवन है। वहीं स्‍वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से मोर्चा लेने वाले स्‍थल भी हैं। चंद्रशेखर आजाद पार्क को तो सभी जानते हैं। यहीं गंगा, यमुना और अदृश्‍य सरस्‍वती का पावन संगम भी है, जहां महाकुंभ और कुंभमेला के साथ प्रतिवर्ष माघमेले का आयोजन होता है। अकबर का ऐतिहासिक किला है तो अक्षयवट की महिमा भी कम नहीं है। अन्‍य भी स्‍थल ऐसे हैं जिसे सभी जानते हैं अब हम बात करेंगे प्रयागराज के चर्चित ऐसे चौराहों की जिनके नाम तो अजब-गजब हैं, लेकिन चर्चित हैं दूर-दूर तक। इन्‍हीं में है पनीर चौराहा, मामा-भांजा चौराहा, नेता चौराहा, घुंघरू चौराहा, बांगड़ धर्मशाला चौराहा, चक चौराहा, फुलवरिया चौराहा, धकाधक चौराहा, धोबी घाट चौराहा, म्योहाल चौराहा, बड़ा और छोटा चौराहा आदि प्रयागराज के सिविल लाइंस थाना इलाके में धोबीघाट चौराहा है। इस चौराहे के पास ही धोबीघाट है। इसी से इस चौराहे का नाम धोबीघाट चौराहा हो गया। यह इतना प्रसिद्ध है कि शहर क्‍या जनपद में कहीं भी किसी से पूछें वह इस चौराहे का लोकेशन आपको बता देगा। ट्रैफिक दृष्टि से भी यह चौराहा प्रसिद्ध है कर्नलगंज इलाके में यह प्रसिद्ध चौराहा स्थित है। इस चौराहे के आसपास पनीर की कई प्राचीन समय से दुकानें हैं। मशहूर लस्‍सी की भी दुकान यहीं है। इसी के नाम पर इस चौराहे का नाम पनीर चौराहा हो गया। पास ही इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय भी है। इससे विश्‍वविद्यालय के छात्रों से भी यह चौराहा गुलजार रहता है दारागंज इलाके में स्थित धकाधक चौराहा काफी प्रसिद्ध है। यहां पहले राजनीतिक दलों के अलावा शहर के साहित्‍यकार और कवियों का जमावड़ा होता था। इसी इलाके में महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भी रहते थे, जिससे दारागंज का नाम और प्रसिद्ध हुआ। उनसे मिलने अनेक राजनीतिक दलों के अलावा साहित्‍यकारों का आनाजाना रहता था। कालांतर में यहां होली के अवसर पर प्रसिद्ध कवि सम्‍मेलन भी होता है। कवि सम्‍मेलन का नाम धकाधक रखा गया। इसी से इस चौराहे का नाम धकाधक चौराहा पड़ गया शहर में प्रतियोगी छात्रों का गढ़ अल्‍लापुर माना जाता है। यहां काफी संख्‍या में विश्‍वविद्यालय और अन्‍य डिग्री कालेज के छात्र भी काफी संख्‍या में किराए का रूम लेकर रहते हैं। अल्‍लापुर में ही नेता चाैराहा स्थित है। विश्‍वविद्यालय छात्रसंघ की राजनीति का भी यह गढ़ था। चुनावों में बैठकें और रणनीति भी यहां के छात्रों से मिलकर बनाई जाती थी। एक कारण इस चौराहे के नामकरण का यह भी माना जाता है

 

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