बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का ही आंदोलन क्यू  चलाया जाता हैं

              गिरजा शंकर गुप्ता (ब्यूरों)
अंबेडकरनगर। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का ही आंदोलन क्यू चलाया जाता हैं, उसकी जगह बेटो को समझाओ, बेटो को शिष्टाचार सिखाओ ये क्यू नही कहा जाता हैं,
हर घड़ी बेटी को ही क्यू सारी संस्कृति, सारी मर्यादा सिखाई जाती हैं, वही संस्कृति वही मर्यादा बेटो को क्यू नही सिखाया जाता हैं,
जब बात आती है इस देश के नारी के बलात्कार की तो हर कोई “लड़की” को ही क्यू कोसता है, आखिर क्यू? अच्छा साहब..?
ये तो बताओ जरा पांच साल की बच्ची का क्या दोष है जो उस पर भी अपनी लोग हैवानियत निकलते हैं, हर घड़ी "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" का ही आंदोलन क्यू चलाया जाता हैं, बेटो को समझाओ बेटो को सिखाओ ये क्यू नही कहा जाता हैं,
जिस कोक से एक बेटे को जन्म देती है इक औरत, तो फिर वही बेटा एक औरत के साथ बलात्कार कैसे कर सकता है, वही बेटा सारे समाज को कैसे गंदा कर सकता हैं, बेटो को भी संस्कृति और संस्कार सिखाने और सीखने की जरूरत है,
बहुत हो चुका है अब बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का आंदोलन, बेटों को सिखाओ बेटो को समझाओ अब इसकी बारी है,
कृपया “बेटियों” की इज्जत करे।

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