सावन के पहले सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर बम-बम भोले और हर-हर महादेव उद्गोषों से गूंज उठा। जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। रविवार को शाम से ही बाबा के दर्शन करने के लिए कतारें लगना शुरू हो गई थीं। सभी शिवभक्त मंगला आरती की प्रतीक्षा कर रहे थे, जिससे उनके लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट खुलें और जिलाभिषेक कर दर्शन करें। मंगला आरती होते ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई। कोरोना महामारी को ध्यान रखते हुए मंदिर प्रशासन श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था की है। भक्त न तो काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर पा रहे हैं और न ही स्पर्श दर्शन करने की इजाजत है। बाबा का जलाभिषेक भी गर्भगृह के बाहर लगे अरघे से ही किया जा रहा है। भक्तों को श्री काशी विश्वनाथ का झांकी दर्शन ही मिल रहा है। प्रशासन ने सड़क पर बैरिकेडिंग लगाई है, जहां भक्त कतारबद्ध लगे हुए हैं। शिवभक्तों के जयकारे से मंदिर के आसपास का क्षेत्र गुलजार हो उठा हैविश्वनाथ मंदिर में प्रवेश के लिए एबीसीडी नाम से चार गेट बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं को गेट नंबर चार छत्ताद्वार होते हुए मंदिर चौक भेजा जा रहा है। श्रद्धालुओं को गेट-ए से प्रवेश करने के बाद गर्भगृह के पूर्वी प्रवेश द्वार पर जल चढ़ाने की व्यवस्था की गई है। बांसफाटक से ढुंढिराज गली होकर आने वाले श्रद्धालु मंदिर परिसर के गेट-डी से प्रवेश दिया जा रहा है और गर्भगृह के पश्चिमी द्वार से दर्शन व जलाभिषेक कर कर रहे हैं। सरस्वती फाटक की ओर से आने वाले श्रद्धालु गर्भगृह के दक्षिणी द्वार और वीआईपी, वीवीआईपी व सुगम दर्शन के टिकटधारी गेट-सी से प्रवेश कर गर्भगृह के उत्तरी द्वार से दर्शन कर रहे हैं।सालों से चली आ रही सावन के पहले सोमवार को 11 यादव बंधुओं द्वारा काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक की परंपरा निभाई गई। वह सुबह होते ही बाबा का जलाभिषेक और दर्शन करने पहुंच गए। शुक्रवार को जलाभिषेक को लेकर चन्द्रवंशी गोप सेवा समिति ओर प्रशासन के बीच बातचीत के बाद सहमति बन गई थी।

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