कुर्बानी के पर्व ईद उल अजहा यानी बकरीद पर लगातार दूसरे साल भी कोरोना संक्रमण का असर साफ नजर आ रहा है। एक तरफ जहां बकरों की ऑनलाइन बिक्री शुरू हो गई है, वहीं उनके दाम भी पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हैं। बाजार में दो लाख के लद्दाखी बकरों के खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं।
वहीं बकरों की अधिकतम कीमत इस बार 90 से 95 हजार जोड़ा तक ही पहुंच सकी है। महंगाई, कोरोना संक्रमण और बेनियाबाग में बकरा मंडी नहीं लगने के कारण आम आदमी परेशान है। शनिवार को बड़ी बाजार, सरैया, बजरडीहा, रेवड़ी तालाब और लल्लापुरा में भी लगी मंडियों में भीड़ बढ़ी है। यहां भी मोमिन अपनी पसंद के बकरों और भेड़ों को अपने दाम पर खरीदने के लिए मोलभाव करते रहे। बकरियाकुंड पर बकरों की खरीदारी के लिए सबसे ज्यादा भीड़ नजर आई।कालीमहल के सैयद शवाब हैदर ने दो लद्दाखी बकरों की कीमत दो लाख रुपये लगाई है। शवाब ने बताया कि बकरों को लद्दाख से मंगवाया था। तीन साल से बकरों को पाल रहा हूं। यह मेवा, चिप्स और बिस्किट ही खाते हैं। शैंपू और कंडीशनर से नहलाना पड़ता है और इनको गरमी भी बर्दाश्त नहीं होती। इनको एसी में रखा जाता है।
वहीं बकरों की अधिकतम कीमत इस बार 90 से 95 हजार जोड़ा तक ही पहुंच सकी है। महंगाई, कोरोना संक्रमण और बेनियाबाग में बकरा मंडी नहीं लगने के कारण आम आदमी परेशान है। शनिवार को बड़ी बाजार, सरैया, बजरडीहा, रेवड़ी तालाब और लल्लापुरा में भी लगी मंडियों में भीड़ बढ़ी है। यहां भी मोमिन अपनी पसंद के बकरों और भेड़ों को अपने दाम पर खरीदने के लिए मोलभाव करते रहे। बकरियाकुंड पर बकरों की खरीदारी के लिए सबसे ज्यादा भीड़ नजर आई।कालीमहल के सैयद शवाब हैदर ने दो लद्दाखी बकरों की कीमत दो लाख रुपये लगाई है। शवाब ने बताया कि बकरों को लद्दाख से मंगवाया था। तीन साल से बकरों को पाल रहा हूं। यह मेवा, चिप्स और बिस्किट ही खाते हैं। शैंपू और कंडीशनर से नहलाना पड़ता है और इनको गरमी भी बर्दाश्त नहीं होती। इनको एसी में रखा जाता है।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know